स्टार रेटिंग से एसी या फ्रिज की क्वालिटी पर कितना पड़ता है असर, आखिर यह कितनी जरूरी होती है?
Star Rating: कई लोगों को ये पता नहीं होता है कि कम स्टार रेटिंग वाले प्रोडक्ट लेने से क्वालिटी पर क्या असर पड़ता है, साथ ही लोगों को ये भी नहीं पता होता है कि स्टार रेटिंग कैसे दी जाती है.
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Star Rating: जब भी हम घर के लिए फ्रिज, एसी या फिर टीवी खरीदने जाते हैं तो कई चीजों का ध्यान रखते हैं. ये देखते हैं कि वो किस कंपनी का है, कितनी वारंटी मिल रही है और प्रोडक्ट कितना सस्ता है. हालांकि लोग इन सब चीजों के अलावा एक और चीज पर जरूर ध्यान देते हैं, वो होती है इन चीजों की रेटिंग... यानी टू स्टार, थ्री स्टार या फिर फाइव स्टार रेटिंग वाले होम अप्लायंसेज पर ध्यान दिया जाता है. लोग इसके बारे में सिर्फ इतना ही जानते हैं कि कम स्टार रेटिंग मतलब ज्यादा बिल और ज्यादा स्टार मतलब कम बिजली की खपत होती है. इसीलिए आज हम आपको बता रहे हैं कि स्टार रेटिंग का आपके फ्रिज और एसी पर क्या असर पड़ता है और ये कितना जरूरी है.
कौन जारी करता है रेटिंग?
आप जब भी किसी दुकान पर फ्रिज या फिर एसी खरीदने जाते हैं तो आपको वहां अलग-अलग रेटिंग वाले एसी-फ्रिज दिखते हैं. ये स्टार्स भारतीय ऊर्जा प्रबंधन ब्यूरो (BEE) की तरफ से जारी किए जाते हैं. ये भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के तहत आता है. इससे एनर्जी एफिशिएंसी पैरामीटर्स का पता चलता है.
ऐसे तय होती है रेटिंग
एसी या फ्रिज के इनपुट और आउटपुट के रेशियो को एनर्जी एफिशिएंसी रेशियो कहा जाता है. अगर ये रेशियो 2.7 से लेकर 2.89 तक होता है तो एक स्टार रेटिंग मिलती है. वहीं 2.9 से लेकर 3.9 तक टू स्टार, 3.1 से 3.29 तक थ्री स्टार और 3.3 से लेकर 3.49 तक फोर स्टार रेटिंग मिलती है. जिनका एनर्जी एफिशिएंसी रेशियो 3.5 से ज्यादा होगा, उन्हें फाइव स्टार रेटिंग दी जाती है. स्टार रेटिंग जितनी ज्यादा होगी, उतनी कम बिजली की खपत होगी. इसके अलावा कूलिंग परफॉर्मेंस भी उतना अच्छा होगा. क्योंकि ज्यादा रेटिंग वाले अप्लायंसेस का इंसुलेशन अच्छा होता है.
ये होता है अंतर
अब आप सोच रहे होंगे कि सिर्फ बिजली वाला ही फायदा है, लेकिन ऐसा नहीं है. फाइव स्टार रेटिंग वाले फ्रिज और एसी की तुलना में थ्री स्टार ज्यादा आवाज भी करते हैं. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि कम स्टार वाले प्रोडक्ट्स को ज्यादा मेहनत करने की जरूरत पड़ती है, वहीं ज्यादा स्टार वाले को कम मेहनत करनी होती है. इसीलिए ज्यादा मेहनत मतलब ज्यादा एनर्जी... यानी ज्यादा बिजली का बिल आएगा.
थ्री स्टार और फाइव स्टार रेटिंग वाले एसी में एक बड़ा अंतर ये भी होता है कि इसका कंप्रेसर और कंडेंसर काफी बेहतर होता है. जिससे आपको ज्यादा रखरखाव की जरूरत नहीं होती है और पैसे कम खर्च होते हैं. हालांकि एसी खरीदते वक्त आपको थ्री स्टार के मुकाबले फाइव स्टार के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं.
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