Lok Adalat: सड़क पर वाहन चलाने के कई नियम होते हैं, जिनका उल्लंघन करने पर आपको जुर्माना भरना पड़ता है. जिसे चालान कहा जाता है. कुछ साल पहले चालान सड़क पर खड़े ट्रैफिक पुलिसकर्मी ही करते थे, जिसमें कई लोग बचकर निकल भी जाते थे, वहीं कुछ फोन पर बात करवा के मामला सेट कर लेते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं है, अब कैमरों से चालान होते हैं, जो किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करते. हर साल कैमरे लाखों चालान काट रहे हैं. कई बार ऐसे लोगों के कई चालान कट जाते हैं, जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते हैं और हजारों रुपये का जुर्माना नहीं भर सकते. ऐसे में उनके लिए लोक अदालत लगाई जाती है, जहां वो चालान को कम या माफ करवा सकते हैं.


क्या है लोक अदालत?
एनएएलएसए अन्य कानूनी सेवा संस्थानों के साथ मिलकर लोक अदालतों का आयोजन करता है. लोक अदालत वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्रों में से एक है, यह एक ऐसा मंच है जहां अदालत में या पूर्व-मुकदमेबाजी चरण में लंबित विवादों/मामलों का सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटारा किया जाता है. लोक अदालतों को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत वैधानिक दर्जा दिया गया है. सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन 1982 में गुजरात में किया गया था. 


इन मामलों का होता है निपटारा
लोक अदालतों के लगने की तारीखों का ऐलान होता है, हर दूसरे या तीसरे महीने में लोक अदालत लग सकती है. लोक अदालतें कई स्तर पर लगती हैं, जिनमें जिला, तालुका, स्थायी लोक अदालत और राष्ट्रीय लोक अदालत शामिल है. लोक अदालत में फैसला नहीं सुनाया जाता है, यहां समझौता होता है. लोक अदालतों में सभी दीवानी मामले, बीमा, वैवाहिक विवाद, ट्रैफिक चालान या जुर्माना, भूमि विवाद, संपत्ति बंटवारे संबंधी विवादों का निपटारा होता है. इसमें किसी भी तरह की कोर्ट फीस नहीं लगती है.


कहां कराना होता है रजिस्ट्रेशन?
आप डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी के पास जाकर इसके लिए एक एप्लीकेशन दे सकते हैं, जिसके बाद वो तय करते हैं कि आपका मामला किस लोक अदालत में सुना जाएगा. इसके बाद आपको एक तारीख मिलती है और उस दिन आपके केस का निपटारा होता है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन या तारीख पाने के लिए आपको राज्य की ट्रैफिक पुलिस वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होता है. अगर दिल्ली में हैं तो delhitrafficepolice.nic.in/notice/lokadalat पर जाकर आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. 


एक बार तारीख मिलने के बाद आपको अपने सभी चालान या फिर जुर्माने के डॉक्यूमेंट साथ लेकर जाने होंगे. यहां पर जब भी आपकी बारी आएगी तो आपको जज के सामने अपनी परेशानी बतानी होगी. चालान होने की स्थिति में आप माफी मांग सकते हैं, जिसके बाद जज ये तक करता है कि आपका जुर्माना कितना कम किया जाए, कई बार लोगों के चालान माफ भी कर दिए जाते हैं. 


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