क्या वसीयत पर अंगूठा लगवाने से हड़पी जा सकती है प्रॉपर्टी? ये है कानून
वसीयतनामे पर अंगूठा लगाकर संपत्ति हड़पने के कई मामले सामने आते हैं, इसे लेकर कानून बनाया गया है. कोर्ट में इस तरह के मामलों से सख्ती से निपटा जाता है.
संपत्ति का बंटवारा करना दुनिया के सबसे मुश्किल कामों में से एक माना जाता है. वसीयत नामा वह लिखता है जो कि उस संपत्ति का पूरा हकदार होता है, जिसकी वो वसीयत कर रहा है. लेकिन कई बार मन में यह सवाल भी आता है कि क्या वसीयत को वसीयत मालिक की मृत्यु के बाद अंगूठा लगाकर भी अपने नाम किया जा सकता है. आइए आपको बताते हैं क्या है इस बात की सच्चाई और क्यों लोगों को लगता है कि अंगूठा लगाने से वसीयत उनके नाम हो सकती है.
वसीयत नामा दो तरह का होता है, एक रजिस्टर्ड वसीयत नामा और एक अनरजिस्टर्ड वसीयत नामा. अनरजिस्टर्ड वसीयत नामे को सादे कागज पर हाथ से भी लिखा जा सकता है. वसीयत लिखने वाला इस कागज पर अपने साइन कर देता है या फिर अंगूठा लगा देता है. इसके अलावा इस वसीयत नामे पर दो गवाहों के भी हस्ताक्षर चाहिए होते हैं. और वसीयत बनाते समय दोनों गवाहों की भी जरूरत होती है. अगर पिता पहले बेटे के पास है और वहीं उसकी मृत्यु हो जाती है तो बड़ा बेटा उनकी मौत के बाद वसीयत पर अंगूठा तो ले लेगा, लेकिन इसे कोर्ट में चुनौती मिल सकती है.
कोर्ट में दे सकते हैं चुनौती
यदि दूसरे भाई जो पिता से दूर थे वे सोचेंगे कि यह वसीयत कहां से आन पड़ी. तो वे इस वसीयतनामे को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं. इस समय इस वसीयत के गवाह बहुत जरूरी हो जाएंगे. ऐसे में फिंगर प्रिंट रिपोर्ट भी कोर्ट के लिए महत्वपूर्ण हो जाएगी. अगर अंगूठा मौत के कई घंटो बाद लगाया गया है तो वह रिपोर्ट में पता लगाया जा सकता है, क्योंकि मौत के बाद शरीर में बदलाव देखने को मिलते हैं. इसके अलावा स्याही और कागज की जांच भी महत्वपूर्ण हो जाएगी.
हो सकता है मुकदमा
इन सबके अलावा अगर वसीयत फर्जी पाई जाती है तो वसीयत पेश करने वाले के खिलाफ नकली दस्तावेज बनाकर कोर्ट में पेश करने की अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा. और अगर मां जिंदा है तो मां की गवाही भी इसमें बहुत जरूरी होगी.
यह भी पढ़ें: मास्टर लिस्ट से कैसे बुक होता है ट्रेन का टिकट, बड़े काम की है ये ट्रिक