क्या होता है फाइनेंशियल गोल? हर आदमी के लिए उसे सेट करना क्यों है फायदे का सौदा
Financial Goal: भारत में हर वर्ग के लोग अपने गोल सेट करने को लेकर कंफ्यूज हैं. अगर आप भी सोच रहे हैं कि फाइनेंशियल गोल अगर बना भी लें तो उसकी प्लानिंग कैसे कर सकते हैं तो यह स्टोरी आपके लिए है.
Financial Goal: पढ़ाई खत्म होने के बाद जब व्यक्ति नौकरी करना शुरू करता है. वह अपने सपनों को धीरे-धीरे जीना शुरु कर देता है. कभी वह किसी ठंडे इलाकों में घूमने जाता है तो किसी रात दोस्तों के साथ बाइक राइडिंग पर निकल जाता है. बचपन से संजोये रखे उन सारे सपनों को जीना शुरु कर देता है जिसकी ख्वाहिश बड़ा होने के साथ-साथ उसके मन में पनप कर बैठी होती है. इन सपनों को पूरा करने में उसकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है. वक्त के साथ वह हर महीने पैसों की तंगी से धीरे-धीरे जूझना शुरू कर देता है. जैसे-जैसे उसे नौकरी करते वक्त बीतता है उसके पास पैसों की कमी आनी शुरू हो जाती है. कभी वह दोस्तों से उधार लेता है तो किसी वक्त बैंक से पर्सनल लोन ले लेता है. लेकिन इन सब के बीच वह अपने फाइनेंशियल गोल को सेट करना भूल जाता है, क्योंकि उसकी मुख्य परेशानी मनी मैनेजमेंट तक आकर रुक जाती है. आज की स्टोरी में हम या समझेंगे की मनी मैनेजमेंट के साथ फाइनेंशियल गोल का सेट होना एक आम आदमी के लिए क्यों जरूरी होता है.
क्या होता है फाइनेंशियल गोल?
फाइनेंशियल गोल किसी व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य होता है जिसे वह आने वाले कुछ वर्षों में पूरा करने के ख्वाहिश देखा है. एक बार फाइनेंशियल गोल पूरा हो जाने के बाद वह अपनी मुख्य जरूरतों को पूरा कर लेता है, जिसमें उसका ड्रीम होम ड्रीम बाइक ड्रीम कार आदि शामिल होती है. एक्सपर्ट हमेशा कहते हैं की नौकरी शुरू करने के साथ-साथ व्यक्ति को अपने फाइनेंशियल गोल के प्रति भी ईमानदार होना चाहिए. क्योंकि फाइनेंशियल गोल उसे किसी भी मुश्किल घड़ी में एक बड़े भाई की भूमिका में कंधा से कंधा मिलाकर खड़े होता है.
कैसे कर सकते हैं प्लानिंग?
अगर आप अभी तक फाइनेंशियल गोल सेट नहीं कर पाए हैं तो आपको इसके बारे में एक बार विचार करना चाहिए. बढ़ती महंगाई आने वाले समय में आपकी जरूरत पर होने वाले खर्चो को बढ़ा सकती है और इससे बचने के लिए एकमात्र समाधान आपके फाइनेंशियल गोल का समय पर पूरा होना है. हर व्यक्ति के लिए उसका फाइनेंशियल गोल अलग-अलग हो सकता है. ऐसे में आपको सबसे पहले ही आता है करना चाहिए कि आप जीवन में क्या करना चाहते हैं क्या खरीदना चाहते हैं और इसके लिए कितने पैसों की जरूरत पड़ेगी. मान लीजिए आप एक ड्रीम होम खरीदना चाहते हैं तो उसके लिए आपको डाउन पेमेंट के तौर पर 10 से 20 लाख रुपए की जरूरत पड़ती है. यदि आपकी सैलरी इस समय 50000 रुपये महीना है. उसका 20 फीसदी हिस्सा आज से सेविंग के तौर पर निवेश कर सकते हैं. बाकी के 80 फीसदी अमाउंट को अपनी जरूरत और शौक को पूरा करने के लिए खर्च कर सकते हैं. यहां 30,20 और 50 वाला फॉर्मूला भी काम करता है.
कहां करें निवेश?
अगर आप इस बात को लेकर भी कंफ्यूज हैं कि कमाई के उन 20 फीसदी पैसों का निवेश कहां करें ताकि बेहतर रिटर्न मिल सके, तो हम आपके लिए एक सुझाव दे सकते हैं. अगर आपको शेयर बाजार की समझ नहीं है तो आप म्युचुअल फंड में पैसा लगा सकते हैं. आप उन 10,000 रुपयों की SIP शुरू कर सकते हैं. अगर आप आज से 10,000 रुपये प्रति महीने की SIP शुरू करते हैं और आपको 12 फीसदी का औसत रिटर्न मिलता है जो की औसत रिटर्न 15% से भी कम है तब भी आप अगले 10 साल में 23 लाख 23 हजार रुपये का फंड तैयार कर लेंगे. एक्सपर्ट बताते हैं कि व्यक्ति की कमाई जिस हिसाब से हर साल बढ़ती हो, उसे निवेश भी उसी दर से हर वर्ष बढ़ाते रहना चाहिए. अगर आप ऐसा कर देते हैं तो समझ लीजिए कि यह रकम 23 लाख नहीं 50 लाख तक भी जा सकता है.
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