Pradhanmantri Jan Aushadhi Kendra: जब कोई बीमार हो जाता है या फिर चोटिल  हो जाता है. तो तो उसके इलाज में काफी खर्च आता है. इसके साथ में दवाइयों भी काफी महंगी आती हैं. केंद्र सरकार ने गरीबों और जरूरतमंदों को ध्यान में रखते हुए. उनकी दवाइयों के खर्चे को कम करने के लिए देश में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोले.


भारत सरकार द्वारा साल 2008 में प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना शुरू की गई थी. तो वहीं साल 2015 में नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे और व्यापक रूप से बढ़ते हुए इसके नाम में बदलाव करते हुए इसका नाम प्रधानमंत्री जन औषधि योजना कर दिया. लेकिन साल 2016 में फिर से इसका नाम प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना कर दिया गया. 


जन औषधि केंद्र से इन लोगों को फायदा


जन औषधि केंद्र का मुख्य उद्देश्य था गरीबों और पिछड़े वर्ग के जरूरतमंदों कम कीमत पर उच्च स्तर की दवाइयां उपलब्ध करवाना. कोई भी गरीब व्यक्ति इन औषधि केंद्रो पर जाकर कम कीमतों में दवाइयां ले सकता है. इसके साथ ही इन औषधि केंद्र से लोगों के बीच में यह जागरूकता भी फैलाना एक मकसद था कि दवाइयां सिर्फ ज्यादा कीमतों पर ही अच्छी नहीं मिलती बल्कि कम कीमतों पर भी मिल जाती हैं. 


जन औषधि केंद्र पर जेनेरिक दवाएं मिलती हैं. जिनके बारे में भी लोगों को जागरूक किया जाता है. अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने संबोधन में बताया था कि  शुगर के इलाज के लिए हर महीने  ₹3000 का खर्चा आता है. उसकी दवा ₹100 की आती है. लेकिन जन औषधि केंद्र पर यह आपको 10 से ₹15 मिल जाती है. 


रोजगार के भी हैं अवसर


प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र पर सिर्फ कम कीमत पर दवाइयां ही नहीं मिलती. बल्कि इस परियोजना के माध्सम से  लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं. प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने पर सरकार की ओर से दो से ढाई लाख की आर्थिक सहायता भी की जाती है इसके साथ ही हर दवा की बिक्री पर 20% प्रॉफिट दिया जाता है और पूरे साल की बिक्री के बाद 10% का एक्स्ट्रा इंसेंटिव भी दिया जाता है. तो वहीं कुछ खास इलाकों के लिए जैसे नॉर्थ ईस्ट राज्य और नक्सल प्रभावित क्षेत्र में प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र खोलने वालों को 15 परसेंटे इंसेंटिव दिया जाता है. 


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