(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
What Is LHB Coaches: ट्रेनों के पुराने डिब्बे हटाकर एलएचबी कोच लगाने पर क्यों जोर दे रहा है भारतीय रेलवे? यह है इसकी वजह
भारतीय रेलवे अत्याधुनिक एलएचबी कोच लगाने पर जोर दे रहा है. एलएचबी कोच की वजह से ट्रेन की स्पीड बढ़ती है और सफर सुरक्षित तथा आरामदायक रहता है. इसीलिए आईसीएफ कोच हटाकर एलएचबी कोच लगाए जा रहे हैं.
Indian Railway: भारतीय रेलवे इन दिनों ट्रेनों में अत्याधुनिक एलएचबी (LHB) कोच लगाने पर जोर दे रहा है. धीरे-धीरे करके ट्रेनों में एलएचबी कोच की संख्या बढ़ाई जा रही है. इसके लिए आईसीएफ कोच को ट्रेन से हटाया भी जा रहा है. यहां हम आपको बता रहे हैं कि एलएचबी कोच क्या होता है. आखिर क्यों पुरानी तकनीक पर आधारित आईसीएफ (ICF) कोच की जगह एलएचबी कोच फायदेमंद सिद्ध हो रहा है. इस कोच की वजह से ट्रेनों की जहां स्पीड बढ़ेगी. वहीं सफर सुरक्षित और आरामदायक रहेगा. ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए एलएचबी कोच ही वह उपाय हैं, जो सभी समस्या वाली संभावनाओं को खत्म करेंगे.
आईसीएफ कोच और एलएचबी कोच में क्या है अंतर
आईसीएफ कोच चेन्नई की फैक्ट्री में बनते हैं. इनकी मैन्यूफैक्चरिंग 1952 से हो रही है. जबकि एलएचबी कोच जर्मनी की कंपनी के नाम पर है. जिसका पूरा नाम लिंक हाफमैन बुश है. अब यह कपूरथला में बनने लगा है. भारतीय रेलवे इस कोच को सन 2000 में जर्मनी से लेकर आया था. आईसीएफ कोच स्टेनलेस स्टील का बना होता है. जिसकी वजह से बहुत भारी होता है. जबकि एलएचबी कोच माइल्ड स्टील से बनता है. यह वजन में हल्का और उपयोगी रहता है. सीधे शब्दों में कहें तो नीले रंग वाले डिब्बे आईसीएफ कोच होते हैं और राजधानी-शताब्दी जैसी ट्रेनों में लाल रंग के डिब्बे एलएचबी कोच होते हैं.
ऐसे काम करते हैं दोनों कोच
आईसीएफ कोच में एयर ब्रेक का प्रयोग होता है. इस वजह से ब्रेक लगाने पर ट्रेन काफी दूर जाकर रुकती है. जबकि एलएछबी कोच में डिस्क ब्रेक का प्रयोग हा है. ब्रेक लगाने पर कुछ ही दूरी पर ट्रेन रुक जाती है. संस्पेंशन की बात करें तो एलएचबी कोच का सस्पेंशन काफी अच्छा होता है. आईसीएफ कोच के सस्पेंशन से 70 डेसीबल की आवाज आती है. इसलिए ट्रेन चलने के दौरान आपको कई सारी आवाजें सुनने को मिलती हैं. जबकि एलएचबी कोच में 60 डेसीबल तक की आवाज होती है. जो कंफर्टेबल भी है और आवाज भी कम करता है.
यह हैं एलएचबी कोच की खासियतें
एलएचबी कोच में डबल सस्पेंशन होता है. बीच वाले सस्पेंशन में हाइड्रोलिक का प्रयोग किया जाता है. जबकि आईसीएफ में ऐसा नहीं होता है. इसीलिए नीले रंग वाले डिब्बे ट्रेन चलने पर पटरी की तरफ से काफी आवाज करते हैं. एलएचबी में एक्स्ट्रा सस्पेंशन भी दिया गया है. यह सस्पेंशन ऊपर से नीचे के लए नहीं, बल्कि साइड के लिए होता है. इसीलिए नीले वाले डिब्बे में सफर के दौरान यात्री साइड की तरफ हिलते डुलते रहते हैं. जबकि एलएचबी के सस्पेंशन इसको ऑब्जर्ब कर लेते हैं.
स्पीड के मामले में यह है फर्क
आईसीएफ कोच में खुद की बिजली बनाने की क्षमता रहती है. बिजली को बैटरी में स्टोर कर लिया जाता है. इसमें लगा डाइनेमो ट्रेन की स्पीड को 120 तक ही कंट्रोल करके रखता है. बिजली तो मिलती है लेकिन स्पीड घट जाती है. एलएचबी में डाइनमो नहीं लगाया है. इस वजह से इस कोच की ट्रेन को 200 तक की स्पीड तक दौड़ा सकते हैं. हालांकि रेलवे सिर्फ 160 की स्पीड पर ट्रेन चलाना चाहता है. बिजली के लिए इस कोच के पीछे जेनरेटर कार लगा दिया जाता है. आधे में जेनरेटर लगा होता है और आधे कोच में माल लोड किया जाता है. एलएचबी कोच की खासियत यह भी है कि इसमें सेंट्रल कप्लिंग होती है. इस वजह से दो बोगियों को आपस में जोड़ा जाता है.
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