इस बारे में सूत्रों ने बताया कि अगर फैसला मंदिर के पक्ष में आता है तो कांग्रेस खुले मन से इसका स्वागत करेगी. सूत्रों के मुताबिक बैठक में तय किया गया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला मंदिर के पक्ष में आए या मस्जिद के या फिर हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा जाए, पार्टी केंद्रीय स्तर पर एक लिखित राय जारी करेगी और सभी नेताओं को उसी के मुताबिक बयान देना होगा.
पुरानी गलती नहीं दोहराना चाहती पार्टी
दरअसल, पिछले दिनों अनुच्छेद 370 को खत्म करने के मोदी सरकार के फैसले पर कांग्रेस नेताओं ने अलग-अलग बयान दिए थे. जहां कांग्रेस ने संसद में इसका विरोध किया था और सरकार के फैसले को गैरकानूनी करार दिया था, वहीं कई वरिष्ठ नेताओं ने 370 खत्म करने के पक्ष में बयान दिए थे. जाहिर है कांग्रेस अयोध्या विवाद के फैसले के वक्त ऐसी स्थिति से बचना चाहती है. खास तौर पर उत्तर प्रदेश में क्योंकि माना जाता है कि अयोध्या से जुड़े फैसले का सबसे ज्यादा असर यूपी की राजनीति पर ही पड़ेगा.
इसी को ध्यान में रखते हुए दिल्ली में सोमवार को हुई बैठक में तय किया गया कि 370 कि तरह अलग-अलग राय नहीं देना है. पार्टी का रुख बाकायदा भेजा जाएगा और उसी लाइन पर बयान देने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं. सूत्रों के मुताबिक यूपी कांग्रेस की सलाहकार समिति की बैठक में आगामी दिनों में अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर होने वाले प्रदर्शन को लेकर भी रणनीति बनाई गई. साथ ही सदस्यता अभियान पर भी चर्चा हुई. आपको बता दें कि आर्थिक मंदी पर सरकार को घेरने के लिए होने वाले प्रदर्शनों की तैयारी को लेकर सोनिया गांधी की अध्यक्षता में शनिवार को हुई महासचिवों की बैठक में भी अयोध्या मामले पर फैसले की बात कुछ नेताओं ने उठाई थी.
इस बैठक में आशंका जताई गई कि जहां एक तरफ कांग्रेस पार्टी आर्थिक मोर्चे पर सरकार को घेरेगी ठीक उसी समय कोर्ट अयोध्या मामले पर फैसला सुना सकती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए बैठक में तय किया गया कि पार्टी को इस मुद्दे पर भटकना नहीं है और आर्थिक स्थिति को लेकर सरकार पर दबाव बनाए रखना है और अयोध्या मामले पर नेताओं को बड़बोलेपन से बचना है.
यह भी पढ़ें-
J&K में लागू होंगे 73वें और 74वें संविधान संशोधन के प्रावधान, पंचायती राज संस्थानों को मिलेगा बल- गृह राज्यमंत्री
आरसीईपी से बाहर रहेगा भारत, घरेलू बाजार बचाने की खातिर पीएम ने लिया बड़ा फैसला
दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक हुई सियासी हलचल, 11 दिनों बाद भी सरकार पर सस्पेंस बरकरार