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टेरर फंडिंग: निखिल बन कर किराए के मकान में रह रहा था मुशर्रफ, एटीएस ने दबोचा
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
इसके एवज में उसे कुछ प्रतिशत रुपए मिलते थे. इससे उसकी ऊपरी आमदनी हो जाती थी. पेट्रोल पंप पर काम करने वाले गिरीश चन्द्र त्रिपाठी बताते हैं कि पुलिसवाले उस दिन सुबह 6 बजे के करीब यहां पर आए थे और दयानंद को पूछने लगे. वो चाय पीने के लिए बगल की दुकान पर गया था. वे आए और उसे अपने साथ लेकर चले गए. उसकी गिरफ्तारी के बाद से पेट्रोलपंप पर काम करने वाले कर्मचारी भी सकते में हैं.
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
खोराबार थाना इलाके के सिद्धार्थनगर कालोनी में परिवार के साथ रहने वाले अरुण कुमार श्रीवास्तव ने ढाई साल पहले आजमगढ़ से आए सुशील राय को नीचे के फ्लोर पर किराए पर दो कमरे दिए थे. वह अपनी बहन के साथ यहां रहने आया था. भाई-बहन नीचे के फ्लोर पर बने दो कमरे में रहते रहे. उसने बताया था कि दोनों कम्प्टीशन की तैयारी करते हैं. बाद में उसने बताया कि वो एक कोचिंग सेंटर में पढ़ाने लगा है. उसके कुछ दिन बाद सुशील ने निखिल राय उर्फ डब्बू नाम के युवक का मकान मालिक अरुण कुमार श्रीवास्तुव से बड़े भाई के रूप में परिचय कराया था. सुशील ने बताया था कि बड़े भाई एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं और अब उनका यहां पर ट्रांसफर हो गया है. वे अब यही पर रहेंगे.
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
धीरे-धीरे ढाई साल बीत गए. निखिल, सुशील और उनकी बहन के व्यवहार के कारण कोई भी ये जान नहीं पाया कि इनकी गतिविधियां इतनी संदिग्ध हैं. हालांकि इन ढाई सालों में एक महिला जिसे सुशील ने अपनी मां बताकर परिचय कराया था वे भी अक्सर गोरखपुर आती रहती थीं. लेकिन, मकान मालिक अरुण कुमार श्रीवास्तव और उनके परिवार के लोगों को कभी भी उन पर शक नहीं हुआ. सुशील की मां निखिल को बड़े बेटे, सुशील को छोटे बेटे और रिंपल को अपनी बेटी बताया था. 24 मार्च को जब यूपी एटीएस ने शहर के दो व्यापारी भाईयों नसीम, अरशद, निखिल, सुशील और दयानंद को उठाया तो लखनऊ में एटीएस के आईजी असीम अरुण के खुलासे के बाद मकान मालिक अरुण कुमार श्रीवास्तव के होश उड़ गए.
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
सीएम योगी आदित्यनाथ के शहर यानि गोरखपुर को गोरक्षनगरी के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन, इस गोरक्षनगरी में आतंक की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं इसका किसी को अंदाजा भी नहीं था. यूपी एटीएस द्वारा लश्कर-ए-तैयबा से संबंध रखने वाले इन स्लीपर सेल की गिरफ्तारी से ये साफ हो गया है कि अभी इसमें और भी चेहरे सामने आ सकते हैं.
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
गोरखपुर खोराबार के रामनगर कड़जहां गोला का रहने वाला दयानंद देवरिया बाईपास स्थित सुंदरम सर्विस स्टेरशन पेट्रोल पंप पर पिछले 12 साल से काम कर रहा था. उसकी नसीम, अरशद, मुशर्रफ और सुशील के साथ सांठ-गांठ थी. वो कुछ प्रतिशत कमीशन के फेर में स्वैप मशीन से टेरर फंडिंग वाले खातों में मंगाए गए रुपयों को पेट्रोलपंप के खाते में ट्रांसफर कर देता था और इन आरोपियों को नकद भुगतान कर देता था. आरोप है कि वो एक बार में एक से डेढ़ लाख रुपए का भुगतान कर देता था.
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
दरअसल जो निखिल राय उर्फ डब्बू, सुशील राय के बड़े भाई के रूप में अरुण कुमार श्रीवास्त़व के मकान में रह रहा था वो कुशीनगर के पडरौना का रहने वाला मुशर्रफ था. जब अरुण को इसका पता चला तो उनके पांव तले जमीन खिसक गई. उन्होंने बताया कि जब घर पर पुलिस आई और दोनों कमरों को खंगालने लगी तो उन्हें लगा कि पुलिसवालों को कुछ गलतफहमी हो गई है. लेकिन, घटना के खुलासे के बाद से वे भी सकते में हैं. उन्होंने बताया कि सुबह दोनों तैयार होकर निकले थे, लेकिन उसके बाद एटीएस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. वहीं उनकी बहन रिंपल भी एक दिन पहले अपने गांव चली गई थी. पुलिसवालों ने कमरे में क्या -क्या छानबीन की उन्हें इस बात का पता नहीं है. तलाशी के बाद पुलिस ने कमरे को सील किया और वहां से चली गई.
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
गोरखपुर से पकड़े गए दो भाईयों नसीम और अरशद के अलावा एटीएस के रडार पर तीन और आरोपी भी आए. इन तीनों को भी यूपी एटीएस ने गिरफ्तार किया है. हैरत की बात ये है कि सुशील राय उर्फ अंकुर के साथ बड़ा भाई बनकर किराए के मकान में रहने वाले निखिल राय उर्फ डब्बू के मुशर्रफ होने से मकान मालिक भी सकते में हैं. वहीं तीसरा आरोपी पेट्रोलपंपकर्मी दयानंद, स्वैप मशीन से रुपए पेट्रोलपंप के खाते में आनलाइन ट्रांसफर कर आरोपियों को लाखों रुपए का नकद भुगतान कर देता था.
Published at : 28 Mar 2018 10:50 AM (IST)
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