जानिए देश की पहली महिला दलित सीएम और बीएसपी सुप्रीमो मायावती के बारे में खास बातें
आज मायावती का जन्मदिन है. दलित परिवार में पैदा हुईं मायावती के लिए सत्ता तक पहुंचना और सीएम बनना आसान नहीं रहा. उनके जीवन में कई उतार चढ़ाव भी आए लेकिन वो हर बाधा को पार कर आगे बढ़ती गईं.
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View In Appएक वक्त था जब मायावती का जन्मदिन धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता था. उनकी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इस दिन बेहद जोश के साथ जन्मदिन समारोह मनाते थे. फिर उन्होंने सादगी से जन्मदिन मनाने का फैसला किया.
15 जनवरी 1956 को उनका जन्म दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में हुआ था. उनके पिता सरकारी नौकरी में थे. मायावती का गांव बादलपुर है जो दिल्ली के पास गौतमबुद्ध नगर में है. मायावती ने अपनी पढ़ाई दिल्ली से की है.
1977 में कांशीराम से मुलाकात के बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया. ये काफी कठिन वक्त था और मायावती का परिवार भी पूरी तरह इसके लिए तैयार नहीं था. लेकिन मायावती ने घर छोड़ने और पार्टी ऑफिस में ही रहने का फैसला कर लिया था.
मायावती बहुत जल्द कांशीराम की कोर टीम का हिस्सा बन गईं और अपने तीखे भाषणों के कारण पहचानी जाने लगीं. 1995 में वह यूपी की पहली दलित महिला सीएम बनीं. इसके पीछे उनकी सालों की मेहनत और त्याग था.
मायावती पर बहुत से आरोप भी लगते रहे हैं. उन्होंने जब नोटों की माला पहनी थी तब भी उनकी काफी आलोचना हुई थी. इसके अलावा उन पर टिकट के बदले पैसे लेने के भी आरोप लगते रहे हैं.
उन पर ये भी आरोप है कि उन्होंने तानाशाही के साथ शासन किया और बीएसपी में किसी नेता को आगे नहीं बढ़ने दिया. आरोप है कि उन्होंने बीएसपी मतलब मायावती और मायावती मतलब बीएसपी जैसी स्थितियां बना दी हैं.
मायावती के समर्थक उनको पीएम बनते देखना चाहते हैं. मायावती ने कभी खुद तो ऐसा नहीं कहा लेकिन कभी इससे इंकार भी नहीं किया है.
उनके जीवन में एक ऐसा वक्त भी आया जब उन्हें अपनी जान बचाने के लिए एक कमरे में छुपना पड़ा. लखनऊ की ये घटना इतिहास में गेस्ट हाउस कांड के नाम से जानी जाती है. सपा के समर्थकों ने उन पर और उनके समर्थकों पर उस वक्त हमला किया था जब वे एक मीटिंग कर रहे थे.
मायावती को सपा का कट्टर दुश्मन माना जाता रहा है. लेकिन अब एक बार फिर वे सपा के साथ हाथ मिला कर लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरने वाली हैं. अखिलेश को इस दोस्ती के पीछे माना जाता है.
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