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यूपी: हेलीकॉप्टर से तूफानी रैलियों के दौर में आज भी साइकिल से प्रचार करते हैं ये 'माननीय'

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 एक फरवरी 1940 को जन्में फिरंगी प्रसाद विशारद 80 साल की उम्र में भी उस युवा की तरह है, जिसमें पूरा जोश और जुनून भरा होता है. तीन बार के विधायक और एक बार के सांसद रहने के बावजूद भी वे सादगी के साथ गठबंधन प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में जी-जान से जुटे हैं. वे पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ  आम लोगों के लिए भी सादगी की मिसाल बन गए हैं.
एक फरवरी 1940 को जन्में फिरंगी प्रसाद विशारद 80 साल की उम्र में भी उस युवा की तरह है, जिसमें पूरा जोश और जुनून भरा होता है. तीन बार के विधायक और एक बार के सांसद रहने के बावजूद भी वे सादगी के साथ गठबंधन प्रत्याशी के चुनाव प्रचार में जी-जान से जुटे हैं. वे पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ आम लोगों के लिए भी सादगी की मिसाल बन गए हैं.
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फिरंगी प्रसाद साल 1974 में भारतीय लोक दल के टिकट पर मुंडेरा बाजार से चुनाव लड़ कर एक बार विधायक चुने गए. साल 1975 में आपातकाल में गोरखपुर जेल में मीसा कानून के तहत बंद भी हुए. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर वे बांसगांव लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और उन्हें जीत हासिल हुई.
फिरंगी प्रसाद साल 1974 में भारतीय लोक दल के टिकट पर मुंडेरा बाजार से चुनाव लड़ कर एक बार विधायक चुने गए. साल 1975 में आपातकाल में गोरखपुर जेल में मीसा कानून के तहत बंद भी हुए. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर वे बांसगांव लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और उन्हें जीत हासिल हुई.
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बांसगांव लोकसभा चुनाव में साल 1977 में उन्हें सर्वाधिक 75.25% वोट मिले थे. फिरंगी प्रसाद विशारद का भरा पूरा परिवार है. उनकी पत्नी सिमिरता देवी का साल 2010 में जनवरी माह में निधन हो गया था. उनके परिवार में चार पुत्र ज्ञान प्रकाश भारती, सत्यप्रकाश भारती, राम प्रकाश भारती और चंद्र प्रकाश भारती के साथ तीन विवाहित पुत्रियां हैं. सभी का भरा-पूरा परिवार है.
बांसगांव लोकसभा चुनाव में साल 1977 में उन्हें सर्वाधिक 75.25% वोट मिले थे. फिरंगी प्रसाद विशारद का भरा पूरा परिवार है. उनकी पत्नी सिमिरता देवी का साल 2010 में जनवरी माह में निधन हो गया था. उनके परिवार में चार पुत्र ज्ञान प्रकाश भारती, सत्यप्रकाश भारती, राम प्रकाश भारती और चंद्र प्रकाश भारती के साथ तीन विवाहित पुत्रियां हैं. सभी का भरा-पूरा परिवार है.
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  आज के दौर में नेता और प्रत्याशी जहां हेलीकॉप्टर से तूफानी रैलियां कर रहे हैं, तो वहीं फिरंगी प्रसाद विशारद आज भी साइकिल और आटो रिक्शा से चलते हैं. वे समाजवादी पार्टी के लिए गठबंधन के साथ इस उम्र में भी सुबह से देर रात तक चुनाव-प्रचार में लगे हैं. पार्टी के नए कार्यकर्ताओं के लिए वे एक नजीर भी हैं. वे पेशे से शिक्षक रहे हैं. विशुनपुरा के स्वावलंबी इंटर कॉलेज में वे बच्चों को शिक्षा देते रहे हैं. साल 2000 में वह सेवानिवृत्त हुए.
आज के दौर में नेता और प्रत्याशी जहां हेलीकॉप्टर से तूफानी रैलियां कर रहे हैं, तो वहीं फिरंगी प्रसाद विशारद आज भी साइकिल और आटो रिक्शा से चलते हैं. वे समाजवादी पार्टी के लिए गठबंधन के साथ इस उम्र में भी सुबह से देर रात तक चुनाव-प्रचार में लगे हैं. पार्टी के नए कार्यकर्ताओं के लिए वे एक नजीर भी हैं. वे पेशे से शिक्षक रहे हैं. विशुनपुरा के स्वावलंबी इंटर कॉलेज में वे बच्चों को शिक्षा देते रहे हैं. साल 2000 में वह सेवानिवृत्त हुए.
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 फिरंगी प्रसाद उस दौर में B.ed और एलएलबी के साथ साहित्य और धर्म में विशारद हैं. चौधरी चरण सिंह के साथ पुरानी फोटोग्राफ देखकर उस दौर को याद करते हुए वे बताते हैं कि आज के दौर के चुनाव और उस समय के चुनाव में काफी फर्क है. वे जाति के धोबी है. लेकिन, उस समय के चुनाव में सादगी ऐसी थी कि जब ये साइकिल से अपने लिए वोट मांगने निकलते थे, तो लोगों ने हाथों-हाथ लेते थे.
फिरंगी प्रसाद उस दौर में B.ed और एलएलबी के साथ साहित्य और धर्म में विशारद हैं. चौधरी चरण सिंह के साथ पुरानी फोटोग्राफ देखकर उस दौर को याद करते हुए वे बताते हैं कि आज के दौर के चुनाव और उस समय के चुनाव में काफी फर्क है. वे जाति के धोबी है. लेकिन, उस समय के चुनाव में सादगी ऐसी थी कि जब ये साइकिल से अपने लिए वोट मांगने निकलते थे, तो लोगों ने हाथों-हाथ लेते थे.
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 साल 1977 से 80 तक सांसद रहे उस दौरान मोरारजी देसाई और चौधरी चरण सिंह गृहमंत्री रहे हैं. 1980 के विधानसभा चुनाव में उन्हें दलित मजदूर किसान पार्टी से महाराजगंज से टिकट दिया गया. इस चुनाव में उन्होंने जीत हासिल कर एक बार फिर विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया.   वे साल 1980 से 85 तक विधायक रहे. 1989 में जनता दल से टिकट मिला. लेकिन, चुनाव चिन्ह नहीं मिलने के कारण निर्दल चुनाव लड़े. लेकिन, उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी महावीर प्रसाद से हार का सामना करना पड़ा. साल 1991 में भी चुनाव लड़े. लेकिन, भाजपा के राजनारायण पासी को जीत मिली.
साल 1977 से 80 तक सांसद रहे उस दौरान मोरारजी देसाई और चौधरी चरण सिंह गृहमंत्री रहे हैं. 1980 के विधानसभा चुनाव में उन्हें दलित मजदूर किसान पार्टी से महाराजगंज से टिकट दिया गया. इस चुनाव में उन्होंने जीत हासिल कर एक बार फिर विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया. वे साल 1980 से 85 तक विधायक रहे. 1989 में जनता दल से टिकट मिला. लेकिन, चुनाव चिन्ह नहीं मिलने के कारण निर्दल चुनाव लड़े. लेकिन, उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी महावीर प्रसाद से हार का सामना करना पड़ा. साल 1991 में भी चुनाव लड़े. लेकिन, भाजपा के राजनारायण पासी को जीत मिली.
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हेलीकॉप्टर से प्रचार के दौर में लाखों-करोड़ों रुपए चुनाव पर खर्च करने वाले प्रत्याशियों के लिए 80 साल के फिरंगी प्रसाद विशारद प्रेरणा के स्रोत हैं. ये ऐसे माननीय हैं जिनकी सादगी से आम और खास में फर्क करना मुश्किल है. आज भी वे साइकिल से चलते हैं और आम आदमी की तरह ऑटो रिक्शा में बैठकर सफर भी करते हैं. उन्हें देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है, कि वे तीन बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं.
हेलीकॉप्टर से प्रचार के दौर में लाखों-करोड़ों रुपए चुनाव पर खर्च करने वाले प्रत्याशियों के लिए 80 साल के फिरंगी प्रसाद विशारद प्रेरणा के स्रोत हैं. ये ऐसे माननीय हैं जिनकी सादगी से आम और खास में फर्क करना मुश्किल है. आज भी वे साइकिल से चलते हैं और आम आदमी की तरह ऑटो रिक्शा में बैठकर सफर भी करते हैं. उन्हें देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है, कि वे तीन बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं.
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फिरंगी प्रसाद विशारद गोरखपुर के दक्षिणांचल के दोआबा के गांव विशुनपुरा के रहने वाले हैं. साल 1969 में वे पहली बार झंगहा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय क्रांति दल से चुनाव लड़कर विधायक बने. उस समय चौधरी चरण सिंह उनके लिए प्रचार करने के लिए गोरखपुर आए थे.
फिरंगी प्रसाद विशारद गोरखपुर के दक्षिणांचल के दोआबा के गांव विशुनपुरा के रहने वाले हैं. साल 1969 में वे पहली बार झंगहा विधानसभा क्षेत्र से भारतीय क्रांति दल से चुनाव लड़कर विधायक बने. उस समय चौधरी चरण सिंह उनके लिए प्रचार करने के लिए गोरखपुर आए थे.
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