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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
भगवा कुर्ता भी काम नहीं आया, सलामी देने वाले हाथों ने लगाई हथकड़ी
गुरुवार को अल्पसंख्यक आयोग के डायरेक्टर शेषमणि पांडेय ने निर्देश आदेश जारी करते हुए इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बर्खास्तगी के साथ ही अफजाल चौधरी की सभी सेवाएं तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गई हैं. पुलिस ने जब अफ़ज़ाल को गिरफ़्तार किया तब भी वो भगवा रंग का कुरता पहने हुए था.
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View In Appअफजाल अफसरों पर गैरक़ानूनी काम को करने का दवाब बनाता था. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य अफ़जाल चौधरी को उसके पद से इसलिए हटाया था क्योंकि इसके विरुद्ध कई तरह की शिकायतें थीं.
वहीं इसी तरह अफजाल ने स्वयं को अटल बिहारी बाजपेयी सरकार का मंत्री यशवंत सिन्हा बताकर ग़ाज़ियाबाद के एसएसपी को लोनी के एक मामले को लेकर फ़ोन किया और दबाव डाला. इतना ही नहीं, जानकरी के मुताबिक इसने लखनऊ पुलिस प्रमुख और एक डिप्टी सीएम तक को फोन किये.
पुलिस ने इसके कब्जे से एक मर्सडीज कार भी बरामद की है. गाजियाबाद एसएसपी वैभव कृष्ण ने बताया कि अफजाल चौधरी खुद बड़े नेताओं जैसे पूर्व मुख्य्मंत्री और अन्य हाईप्रोफाइल नेताओं का नाम लेकर अफ़सरों को हड़काता था.
हकीकत पता चली तो पूरी कहानी को लखनऊ बताया गया. मिली जानकारी के मुताबिक अफ़ज़ाल खुद को कभी गुजरात का पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला बताकर ग़ाज़ियाबाद की डीएम रितु माहेश्वरी पर एक ज़मीनी विवाद को किसी व्यक्तिविशेष के पक्ष में करने की सिफ़ारिश की थी.
अफजाल ने अपने फ़ेसबुक अकाउंट पर कई बॉलीवुड सितारों और बड़ी हस्तियों के साथ की फ़ोटो डाली हुई हैं. गाजियाबाद के मुस्लिम बीजेपी नेता अफजाल को योगी सरकार ने बीते पांच फरवरी को आयोग का सदस्य नियुक्त किया था.
पुलिस ने इसके एक साथी कृष्ण कुमार को भी गिरफ़्तार किया है. अफजाल चौधरी भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं के नाम पर शासन व प्रसाशन के कई बड़े अधिकारयों को हड़काता था और उन पर दबाब बनाकर उनसे अपने मन मुताबिक कार्य करवाता. ये लोगों से पैसे भी वसूलता था.
गाजियाबाद पुलिस ने लोनी के रहने वाले अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य अफजाल चौधरी को गिरफ्तार किया है. अफ़ज़ाल पर आरोप है कि वो बड़े नेताओं का नाम लेकर अधिकारियों को गैर क़ानूनी काम करने के लिए धमकता था. शक होने पर अधिकारियों ने ये बात लखनऊ पहुंचाई और फिर अफ़ज़ाल को सलामी देने वाले हाथों ने ही उसे हथकड़ी पहना दी.
लोनी निवासी इस शख़्स पर ग़ाज़ियाबाद की डीएम और एसएसपी समेत कई बड़े अधिकारियों को फ़र्ज़ी नाम से फ़ोन कर नियम विरुद्ध कार्य करने के लिए दबाव डालने का संगीन आरोप था. गाजियाबाद के अधिकारियों को जब शक हुआ तो उन्होंने छानबीन शुरू की.
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