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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बच्चे ने मांगी मदद, मोदी दादा, योगी चाचा मैं मरना नहीं चाहता, मुझे बचा लीजिए
कानपुर: कानपुर में एक मार्मिक नजारा देखने को मिला. जिस किसी ने भी उसे देखा ठहर गया. दरअसल एक 14 साल के बच्चे की दोनों किडनिया ख़राब है ,परिवार की आर्थिक स्थित भी बेहद ख़राब है. बच्चा अपने इलाज के लिए सड़क पर भीख मांग रहा है. उसने हाथ में एक बोर्ड पकड़ा हुआ है जिसपर लिखा है मोदी दादा और योगी चाचा मैं मरना नहीं चाहता हूं मुझे बचा लीजिये. बच्चे की इस मार्मिक अपील जिसने भी पढ़ी और उसने रुककर उसके इलाज के लिए पैसे जरूर दिए. एक पिता ने भी अपील की है कि मेरे बेटे के पास सिर्फ 20 दिन का समय है उसकी जान बचा लीजिये. परिवार चाहता है कि उसके इलाज में सरकार की तरफ से कुछ आर्थिक मदद मिल जाए तो बच्चे की जान बच जाएगी.
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View In Appआसिफ ने प्रधानमंत्री मोदी दादा और मुख्यमंत्री योगी चाचा से बड़ी ही मार्मिक अपील की है. बच्चे कहा मैं मरना नही चाहता हूं मुझे बचा लीजिये ,मेरी दोनों किडनिया ख़राब हैं. मेरे इलाज में परिवार का बहुत रूपया खर्च गया. परिवार कर्ज में आ गया है ,मेरे परिवार के पास इतना पैसा नहीं है कि वो मेरा इलाज करा सके. मै मोदी दादा और योगी चाचा से मांग करता हूं की मेरा इलाज करा दें. मै अभी मरना नहीं चाहता हूं मै भी जीना चाहता हूं. मै अपने इलाज के भीख मांग कर पैसे जुटा रहा हूं.
इसके बाद हम बच्चे को लेकर हैलट अस्पताल आ गए और उसे तीन यूनिट ब्लड चढ़वाया और उसको दोबारा पीजीआई ले गए. जहां डॉक्टरों ने उसे तीन दिनों तक भर्ती रखा इसके बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया. डॉक्टरों ने कहा कि हफ्ते में तीन बार डायलेसिस करना पड़ेगा एक बार के डायलेसिस में दवा का खर्च लगाकर लगभग 20 हजार रुपए है. जब तक बच्चा जिन्दा रहेगा यह प्रक्रिया चलती रहेगी. यदि किडनी ट्रांसप्लांट की जायगी तो उसमे लगभग 25 लाख रुपए का खर्च है. हमारी आर्थिक स्थिति ख़राब है इतना रुपया खर्च करने की हैसियत नहीं है. हमारी मांग है कि योगी जी और मोदी जी मदद कर देंगे तो बेटे की जान बच जाएगी.
बच्चे के पिता सलीम के मुताबिक मेरे बच्चे के पास मात्र 20 दिन का समय है. अगर उसे इलाज नहीं मिल पाया तो उसका बचना मुश्किल है. जब मैंने बच्चे को हैलट अस्पताल में भर्ती कराया तो वहां के डॉक्टरों ने उसे पीजीआई के लिए रेफर कर दिया. जब पीजीआई लेकर गए वहां डॉक्टरों ने बच्चे को लेने से मना कर दिया ,कहा कि बच्चे का हीमोग्लोबिन बहुत कम है. जब हीमोग्लोबिन 8 प्वाइंट से अधिक होगा तभी बच्चे को भर्ती करेंगे.
दरसल आसिफ की किडनी में संक्रमण था जिसका इलाज कानपुर के डॉ निर्भय कुमार से चलता रहा. इसी दौरान 2015 में आसिफ की मां का निधन हो गया वह भी प्राइवेट जॉब करती थीं. उज्मा की मौत के बाद आसिफ के पिता ने उसका इलाज बंद कर दिया और आयुर्वेदिक इलाज कराने लगे. 2018 की शुरुआत में अचानक आसिफ का शरीर फूलने लगा. जब उसे हैलट अस्पताल में भर्ती कराया गया तो वहा पता चला कि आसिफ की दोनों किडनिया ख़राब हैं.
बर्रा थाना क्षेत्र बर्रा छह में रहने वाले मोहम्मद सलीम कबाड़ की फेरी लगाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं. परिवार में पत्नी उज्मा की तीन साल पहले मौत हो गई थी,बड़े बेटे अनस,बेटी कंचन और सबसे छोटे बेटे आसिफ (14) के साथ रहते हैं. आसिफ की दोनों किडनिया ख़राब है उसके इलाज में परिवार की आर्थिक स्थित बेहद ख़राब हो गई. स्थित यह कि दो वक्त की रोटी भी बड़े मुश्किल से नसीब हो रही है. वहीं रिश्तेदारों ने भी अब मुंह फेर लिया कि कही इलाज के लिए पैसे न मांग ले.
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