कुंभ मेले के लिए जूना अखाड़े के संतों ने शाही अंदाज़ में किया नगर प्रवेश, गोल्डन बाबा रहे आकर्षण का केंद्र
जूना अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी महंत विद्यानंद जी महाराज ने बताया कि मेले में जूना अखाड़े की पेशवाई पचीस दिसंबर को होगी. जूना खाडे का यह शाही जुलूस गंगापार के रहिमापुर इलाके से शुरू होकर मेला क्षेत्र होता हुआ मौजगिरी मंदिर तक गया था.
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View In Appअखाड़े के यही लोग धर्म ध्वजा स्थापित करने और अखाड़े की पेशवाई की भी व्यवस्था करेंगे. जूना अखाड़े के इन साधुओं का शाही प्रवेश देखने के लिए शहर में जगह- जगह लोगों की भारी भीड़ मौजूद थी. कोई नमन कर तो कोई फूल चढ़ाकर अखाड़े के इन सन्यासियों का दर्शन करते हुए इनका आशीर्वाद ले रहा था.
इसमें तमाम संत हाथी-घोड़ों और ऊंट पर जयकारे लगाते हुए सवार थे तो महामंडलेश्वर व दूसरे संत रथों पर रखे चांदी के हौदों पर सवार थे. जूना खाड़े के रमता पंच, महामंडलेश्वर और साथ आये करीब एक हज़ार साधू-संत अब संगम क्षेत्र में ही रूककर अखाड़े के लिए मेले का इंतजाम करेंगे.
अखाड़े की धर्म ध्वजा भी इस शाही जुलूस में शान से लहरा रही थी. शाही जुलूस में सबके आकर्षण का केंद्र गोल्डन बाबा थे. गोल्डन बाबा को देखने के लिए लोगों में काफी उत्सुकता रही. करीब ढाई हज़ार साल पुरानी परम्परा को निभाते हुए जूना अखाड़े के सन्यासियों के कुम्भ मेला आगमन को शाही अंदाज़ देने के लिए देश के कई हिस्सों से बैंड पार्टियां बुलाई गई थीं.
अखाड़ों के संतों के नगर प्रवेश के साथ ही आज से प्रयागराज कुंभ की अनौपचारिक शुरुआत हो गई है. जुलूस में सबसे आगे घोड़ों पर सवार होकर ढोल पीटकर लोगों को अपने आगमन का सन्देश देते नागा सन्यासी थे तो उनके पीछे जून अखाड़े के आराध्य भगवान दत्तात्रेय की स्थापित मूर्ति थी.
साधू -संतों का शाही जुलूस करीब डेढ़ किलोमीटर लम्बा था और इसमें रथों पर रखे चांदी के हौदों पर सवार महामंडलेश्वर व दूसरे संत आकर्षण का केंद्र रहे. जूना अखाड़े के साधू- संतों ने शाही अंदाज़ में गाजे- बाजे और हाथी- घोड़ों के साथ जब शहर में प्रवेश किया तो फूलों की बारिश कर उनका स्वागत किया गया.
संगम के शहर प्रयागराज में लगने जा रहे कुंभ मेले में अखाड़ों के साधू -संतों का आगमन शुरू हो गया है. जूना अखाड़े के संतों ने हाथी-घोड़ों और बैंड बाजों के बीच आज शाही अंदाज़ में नगर प्रवेश किया.
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