Kumbh Mela 2019: अपने आप में खास होती है तीर्थराज प्रयाग में होने वाली आरती और स्नान
स्नान के साथ-साथ यहां आरतियों का भी अपना ही एक महत्व है. कहीं यह संख्या सैकड़ों में होती है तो कहीं हज़ारों में तो कहीं कभी-कभी लाखों तक पहुंच जाती है. इसी प्रकार श्रद्धाभाव, आदर एवं सम्मान से ओत-प्रोत आरतियां तीर्थराज प्रयाग में गंगा एवं यमुना के तटों के साथ-साथ संगम स्थल पर भी आयोजित होती हैं. प्रयागराज मेला प्राधिकरण एवं विभिन्न समितियों द्वारा बड़े धूम-धाम से आरतियां कराई जाती हैं जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं. विशेष पर्वों पर तो यह संख्या लाखों के पार भी हो जाती है. तस्वीर: kumbh.gov.in
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View In Appप्रयागराज में यह आरतियां प्रातः एवं संध्याकाल में होती हैं. जिसमें पांच से सात की संख्या में बटुक (पुजारी) बड़ी-बड़ी थालों में मां स्वरूपिणी गंगा जी एवं यमुना जी एवं अदृश्य सरस्वती की आराधना बड़े ही भक्ति-भाव से करते हैं. बटुकों के हांथो में आरती की थालियां जैसे साक्षात पंचतत्वों के महत्त्व को समझाती दिखती हैं. तस्वीर: kumbh.gov.in
राज्य सरकार के मुताबिक, 15 जनवरी (मकर संक्रांति) को 1.2 करोड़, 21 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को 55 लाख, 4 फरवरी (मौनी अमावस्या) को 3 करोड़, 10 फरवरी (बसंत पंचमी) को 2 करोड़, 19 फरवरी (माघी पूर्णिमा) को 1.6 करोड़ और 4 मार्च (महाशिवरात्रि) को 60 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है. ये सारी तस्वीर और जानकारी कुंभ के ऑफिशियल पेज kumbh.gov.in से ली गई है. ज्यादा जानकारी के लिए आप इस पेज पर भी जा सकते हैं.
ऐसी मान्यता है कि पवित्र कुंभ में स्नानकर्म इस विश्वास से किया जाता है कि त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर एक व्यक्ति अपने समस्त पाप को धो डालता है, स्वयं को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त कर देता है और मोक्ष को प्राप्त हो जाता है. तस्वीर: kumbh.gov.in
कुंभ मेला हिन्दू तीर्थयात्राओं में सर्वाधिक पावन तीर्थयात्रा है. प्रयागराज कुंभ में अनेक कर्मकाण्ड सम्मिलित हैं और स्नान कर्म, कुंभ के कर्मकाण्डों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण है. करोड़ों तीर्थयात्री कुंभ मेला स्नान कर्म में हिस्सा लेते हैं. त्रिवेणी संगम पर पवित्र डुबकी लगायी जाती है. तस्वीर: kumbh.gov.in
प्रयागराज में कुंभ मेला को ज्ञान एवं प्रकाश के श्रोत के रूप में सभी कुंभ पर्वो में सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. सूर्य जो ज्ञान का प्रतीक है, इस त्योहार में उदित होता है. कहा जाता है कि शास्त्रीय रूप से ब्रह्मा जी ने पवित्र नदी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर दशाश्वमेघ घाट पर अश्वमेघ यज्ञ किया था और सृष्टि का सृजन किया था. कुंभ में करोड़ों लोग आस्था की डुबकी लगाने आते हैं. तस्वीर: kumbh.gov.in
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