उन्नाव मामला: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश- सभी केस दिल्ली ट्रांसफर, 45 दिन में पूरा हो ट्रायल
सुप्रीम कोर्ट ने आज उन्नाव मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि केस को यूपी से बाहर ट्रांसफर किया जाएगा और सीबीआई से 7 दिनों में एक्सीडेंट की जांच पूरी करने को कहा है.
ABP News Bureau
Last Updated:
01 Aug 2019 02:40 PM
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पीड़ितों को मुआवजे पर भी हमने विचार किया. फिलहाल अंतरिम मुआवजे के तौर पर यूपी सरकार 25 लाख पीड़िता को दे. पीड़िता और उसके वकील को सुरक्षा को सुरक्षा दी जाए. लड़की के परिवार, चाचा और उनके परिवार को तत्काल सीआरपीएफ की सुरक्षा मिले. यूपी के वकील पीड़िता के चाचा महेश सिंह को भी रायबरेली जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने की दरख्वास्त कर रहे हैं. कोर्ट ने इस पर कोई आदेश नहीं दिया
महेश जेल में खुद को खतरा बताते हैं. पीड़ित और वकील को इलाज के लिए दिल्ली शिफ्ट करने को कल फिर सुनवाई होगी.
इस मामले में सीजेआई ने बड़ा आदेश दिया है. सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए सभी मुकदमों को दिल्ली ट्रांसफर कर दिया है. कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि एक जज की अदालत में सभी मामलों की सुनवाई होगी. एक्सीडेंट की जांच एक हफ्ते में पूरी हो. अगर ज़रूरी हो तो जांच अधिकारी एक और हफ्ते का समय हमसे मांग सकते हैं. मुकदमा शुरू करने के बाद 45 दिन में ट्रायल पूरा करें. आरोपी चाहें तो इस आदेश पर आपत्ति या सुधार के लिए हमारे पास आ सकते हैं.
उन्नाव मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई शुरू हो गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की मेडिकल कंडीशन के बारे में पूछा. सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि पीड़िता और उनके वकील दोनों लखनऊ से कहीं बार इलाज के लिए शिफ्ट करने की स्थिति में हैं. अगर उनका परिवार चाहेगा तो उन्हें शिफ्ट किया जाएगा. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परिवार से पता करिए कि क्या चाहते हैं.
एबीपी न्यूज़ की खबर का बड़ा असर हुआ है. रायबरेली में सड़क हादसे में घायल हुए उन्नाव पीड़िता की वकील के भाई देवेंद्र सिंह को सुरक्षा दी गई है. कल एबीपी न्यूज़ को लाइव इंटरव्यू देते हुए देवेंद्र सिंह ने कहा था कि उनकी जान को भी खतरा है, उन्होंने प्रशासन पर सुरक्षा ना देने का आरोप लगाया था. इसी के बाद प्रशासन की नींद खुली और उन्हें एक गनर की सुरक्षा दी गई.
सुप्रीम कोर्ट के कड़े तेवर के बीच उत्तर प्रदेश पुलिस एक्शन में है. रेप पीड़िता के परिवार की सुरक्षा में तैनात तीन पुलिसवाले सस्पेंड कर दिए गए हैं.
बीजेपी की सांसद हेमा मालिनी ने भी कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पार्टी ने फैसला लिया है इससे वो खुश हैं. गलत काम करने वाले नेताओं को पार्टी से जरूर निकाला जाना चाहिए.
लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल की ओर से सुबह 11 बजे जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक पीड़िता और वकील दोनों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है. दोनों की हालत में कोई सुधार नहीं दिख रहा है. अभी भी पीड़िता और वकील वेंटिलेटर पर हैं.
बता दें कि बीजेपी ने आज बड़ा फैसला लेते हुए आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से बर्खास्त कर दिया है. इस फैसले पर बीजेपी सांसद हेमा मालिनी ने कहा कि फैसले में देरी हुई लेकिन सही फैसला है. जिसने भी अपराध किया है उसे सजा जरूर मिलनी चाहिए.
उन्नाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि सारे केस यूपी से बाहर ट्रांसफर होंगे. CJI ने पूछा कि पीड़िता की क्या हालत है? क्या पीड़िता को ट्रांसफर किया जा सकता है ? इस पर कोर्ट को बताया गया कि पीड़िता वेंटिलेटर पर है, इसके लिए डॉक्टरों की सलाह लेनी होगी. कोर्ट ने दोपहर दो बजे पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट मांगी. दो बजे मामले की फिर सुनवाई होगी, कोर्ट बड़ा फैसला सुना सकता है. पीड़िता के एक्सीडेंट मामले पर भी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. कोर्ट ने सीबीआई को सात दिन में जांच पूरी करने का आदेश दिया. CJI ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि आपको कितना समय चाहिए? SG ने कहा- एक महीना. इस पर सीजेआई ने जवाब दिया- एक महीना? नहीं, सात दिन में जांच पूरी करें.
बैकग्राउंड
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की हालत के बारे में जानकारी ली है और पूछा है कि क्या उन्हें बेहतर इलाज के लिए दिल्ली लाया जा सकता है? CJI ने CBI से 7 दिनों में हादसे की जांच पूरी करने को कहा है और साथ ही इस मामले से जुड़े सभी केसों को दिल्ली से बाहर ट्रांसफर करने की भी बात कही है. माना जा रहा है कि अब इस मामले की सुनवाई दिल्ली में होगी. दूसरी ओर बीजेपी ने आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निकाल दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
उन्नाव मामले में जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरु हुई तो सॉलिसीटर जनरल ने कोर्ट को केसों का चार्ट सौंपा. पहला मामला रेप केस का है जिसमें आरोपी जेल में है. दूसरा आर्म्स एक्ट का केस है जिसमें पीड़िता के पिता को गिरफ्तार किया गया था. तीसरा केस पिता की हत्या का है जिसे पीड़िता की मां ने दर्ज कराया था. चौथा मामला एक्सीडेंट का है जो रविवार को हुआ है जिसमें पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई.
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल से पूछा कि पीड़िता के पिता की मौत के मामले में आरोपी कौन हैं इस पर सॉलिसीटर जनरल ने बताया कि आरोपी प्राइवेट लोग हैं, पुलिसवाले नहीं हैं. इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि पीड़िता के पिता की गिरफ्तारी और मौत के बीच कितने दिन का अंतर था. इस पर उन्हें बताया गया कि तीन तारीख को उन्हें हिरासत में लिया गया था और उनकी मौत नौ तारीख में हुई.