वाराणसी: पैतृक गांव पहुंचा शहीद का पार्थिव शरीर, नम आंखों के साथ लगे रविनाथ अमर रहे के नारे
सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उनके दूत के रूप में प्रदेश सरकार के मंत्री नीलकंठ तिवारी भी वहां पहुंचे. उन्होंने शहीद के परिवार को यूपी सरकार की तरफ से 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता के बारे में बताया. साथ ही उन्होंने शहीद के पिता के बैंक अकाउंट में इस सहायता राशि ट्रांसफर किए जाने का सर्टिफिकेट भी सौंपा. राज्य मंत्री ने शहीद के पिता को यह भरोसा भी दिया कि उनके परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी के साथ सरकार की तरफ से हर संभव मदद की जाएगी.
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In Appवाराणसी: रविवार को दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में शहीद हुए रविनाथ सिंह पटेल का पार्थिव शरीर आज शाम उनके पैतृक गांव दल्लूपुर पहुंचा. गांव के बेटे को तिरंगे में लिपटा देख एक तरफ मातम था तो वहीं गर्व से सीना भी चौड़ा हो रहा था. दल्लुपुर गांव में वाराणसी के शहीद हुए लाल को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ा था.अपने बेटे का शव देखकर मां अनिता पटेल के सब्र का बांध टूट चुका था. वे बेटे के शव से लिपट कर रोने लगीं. रविवार को उन्हें बताया गया था कि उनका बेटा एक्सीडेंट में घायल हो गया है और उसे इलाज के लिए वाराणसी लाया जा रहा है. मां को उम्मीद थी कि बेटा इलाज के बाद ठीक हो जाएगा और अपनी बहन के बरक्षा के लिए भी जाएगा. लेकिन क्रूर सच्चाई से सामना होने के बाद मां-बाप दोनों के सपने चकनाचूर हो चुके थे.
शाम को छत्तीसगढ़ से शहीद रविनाथ का शव उनके पैतृक गांव पहुंचा तो वहां डीएम योगेश्वर राम मिश्रा, एसएसपी रामकृष्ण भारद्वाज सहित जिले के सभी आलाधिकारी मौजूद थे. शहीद रविनाथ को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. उसके बाद और एसएसपी ने पुष्प गुच्छ अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की. इसी के साथ पूरा माहौल रविनाथ अमर रहे के नारों से गूंज उठा.
रविनाथ के शहादत की खबर पाकर पूरा इलाका ग़मगीन हो चुका था. सोमवार सुबह से ही बसनी व्यापार मंडल ने शहीद रविनाथ के सम्मान में श्रद्धांजलि देने के बाद बाज़ार बंद कर दिया. दिन भर इलाके की दुकानें बंद रहीं. बसनी के लोगों का कहना था कि आज रविनाथ ने शहीद होकर इस इलाके का नाम रोशन कर दिया. इसीलिए वीर सपूत के सम्मान और याद में बाजार बंद रखने का फैसला किया गया है.
सबसे पहले भाई की शहादत की खबर पाने वाली बहन सरिता का भी रो-रो कर बुरा हाल था. रविनाथ ने बहन से वादा किया था कि वह छुट्टी लेकर उसका बरक्षा (रोके की रस्म) लेकर जाने के लिए जरूर आएगा. रविनाथ को 24 मई को एक शादी में सम्मिलित होने आना था. उसके बाद 30 मई को अपनी बहन सरिता का बरक्षा चढ़ाने रामनगर के पास पड़ाव जाना था. लेकिन नक्सलियों के लैंडमाइन ब्लास्ट ने पूरे परिवार के सपने तोड़ दिए. रविनाथ के पिता सत्यप्रकाश ने बताया कि रविनाथ बार-बार यही दिलासा दे रहा था कि पापा शादी की चिंता बिल्कुल मत करना, वह सब मैनेज कर लेगा. लेकिन विधि के विधान ने उसके पहले ही रविनाथ को परिवार से छीन लिया.
रविनाथ के पिता सत्य प्रकाश को उनके शहादत की खबर सोमवार सुबह पता चली. उनके बड़े बेटे राकेश ने दी, जो रविनाथ के शहीद होने की खबर पाकर कोलकाता से वाराणसी पहुंचा था. उन्होंने बताया कि रविनाथ बचपन से ही देश को लेकर जज्बाती था. उसका सपना सेना में नौकरी करने का था. उसका सपना तब पूरा हुआ जब उसका सेलेक्शन नक्सलियों से लोहा लेने के लिए बनी स्पेशल फोर्स छत्तीसगढ़ आर्म्ड फ़ोर्स में हुआ. रविनाथ ने 2013 में छत्तीसगढ़ आर्म्ड फ़ोर्स ज्वाइन की थी.
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -