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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
तस्वीरें: जानिए उस महिला की कहानी, जिसने तीन तलाक की जंग को दी बुलंद आवाज
प्रयागराज के प्रॉपर्टी डीलर रिज़वान के साथ ब्याही गई सायरा ने तीन तलाक को पुरुषों का एकाधिकार बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. इतना ही नहीं कानूनी लड़ाई लड़ने के साथ ही मुस्लिम संगठनों और पर्सनल ला बोर्ड के खिलाफ भी उन्होंने लगातार अपनी आवाज़ मुखर रखी और मुस्लिम महिलाओं की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचा दिया.
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View In Appराज्यसभा में भी पास होने के बाद तीन तलाक का बिल अब जल्द ही क़ानून बन जाएगा. तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट से असंवैधानिक घोषित कराने से लेकर उसे इस मुकाम तक पहुंचाने और करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को इस कुप्रथा से निजात दिलाने में प्रयागराज में ब्याही गई उत्तराखंड की सायरा बानो का बहुत बड़ा योगदान है. सायरा बानो ने ही तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
शुरुआती दिनों में तो ससुराल में सब ठीक ठाक रहा लेकिन कुछ दिन बाद ही प्रापर्टी डीलर पति और ससुराल के दूसरे लोग उसे परेशान करने लगे.दो बच्चे होने के बावजूद सायरा के साथ मारपीट की जाती. उसे ताने दिये जाते और बात-बात पर घर से निकालने की धमकी दी जाती. आरोप है कि सायरा का छह बार जबरन एबॉर्शन कराया गया और साथ ही उसे गर्भ निरोधक दवाएं लेने के लिए भी मजबूर किया जाता था.
तीन तलाक के दुरूपयोग का शिकार हुई सायरा अब खुलकर कहती हैं कि इस्लाम धर्म में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को बेहद कम अधिकार दिए गए हैं. उनके मुताबिक़ जब शादी सैकड़ों लोगों की मौजूदगी में तमाम रस्मों व दूल्हा और दूल्हन की रजामंदी के बाद ही पूरी मानी जाती है तो तलाक सिर्फ पुरुषों को अकेले में भी तीन बार बोलकर या लिखकर कह देने से क्यों मान लिया जाता है.
कागज पर तीन बार तलाक लिखकर पति द्वारा हमेशा के लिए रिश्ता तोड़े जाने के सदमे से उबरने के बाद सायरा ने तीन तलाक के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया. सायरा ने इसे खुद अपनी लड़ाई मानने के बजाय देश में रहने वाली नौ करोड़ मुस्लिम महिलाओं के हक़ की लड़ाई माना और तीन तलाक को देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. अपनी अर्जी में सायरा ने तीन तलाक बोलकर पत्नी को छोड़ने की कुप्रथा को चुनौती दी और अदालत से इसे गैरकानूनी करार देकर महिलाओं को भी बराबरी का हक़ देने वाला क़ानून बनाने की अपील की.
सायरा बानो के केस पर ही तीन तलाक ने सियासी तौर पर देश में कोहराम मचा दिया. तलाक के बाद प्रयागराज में अपनी बहन के घर रह रही सायरा ने मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और दूसरे मुस्लिम संगठनों के एतराज को पुरुष प्रधान समाज की सोच करार दिया था. उनका मानना है कि इन संगठनों और संस्थाओं में सिर्फ पुरुष ही होते हैं, इसलिए यह महिलाओं को अपनी कठपुतली बनाने की खातिर तीन तलाक की हिमायत करते हैं. सायरा का कहना है कि यह उनकी अकेले की नहीं बल्कि सभी मुस्लिम महिलाओं की लड़ाई थी, जिसमे अब जाकर जीत हासिल हुई है.
सायरा का आरोप है कि पांच साल पहले वह बीमार हुई तो पति रिज़वान और उसके एक दोस्त ने चोरी से उसकी अश्लील तस्वीरें भी ले लीं. साल 2015 के अक्टूबर महीने में सायरा कुछ दिनों के लिए अपने मायके आई तो पति ने एक कागज़ पर तीन बार तलाक लिखकर उसे हमेशा के लिए छोड़ने का एलान कर दिया. कागज़ पर तीन तलाक लिखने के बाद पति और ससुराल के लोगों ने हमेशा के लिए उससे रिश्ता तोड़ लिया. इतना ही नही उसकी लाख गुहार के बावजूद ससुराल वालों ने बच्चों को भी उसके पास नहीं जाने दिया.
उत्तराखंड के काशीपुर की रहने वाली रिटायर्ड आर्मी आफिसर की बेटी सायरा बानो की शादी 11 अप्रैल साल 2002 को प्रयागराज के जीटीबी नगर इलाके के रिज़वान से हुई थी. सोशल साइंस में मास्टर डिग्री लेने के बाद ब्याह रचाने वाली सायरा तमाम दूसरी लड़कियों की तरह खुशहाल ज़िंदगी के हजारों सपनों लेकर मायके से विदा हुई थीं.
देश की सबसे बड़ी अदालत ने दो साल पहले जिन अर्जियों पर सुनवाई करते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित किया था, उनमे सायरा बानो का केस भी शामिल था. चालीस साल की सायरा बानो को तकरीबन चार साल पहले उनके पति ने तलाक दे दिया, तो बाकी की उम्र रो-रोकर घर में गुजारने के बजाय उन्होंने करोड़ों मुस्लिम महिलाओं की आवाज़ बनने का फैसला लिया था.
सायरा बानो को यकीन था कि उनका संघर्ष मुस्लिम संगठनों और पर्सनल ला बोर्ड के विरोध के बावजूद उनकी जैसी तलाकशुदा महिलाओ को पुरुषों के हाथों की कठपुतली बनने से ज़रूर रोकेगा.
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