प्रयागराज: भाईचारे और सौहार्द की नई इबारत लिख रही है उर्दू में तैयार की गई रामलीला
उर्दू में तैयार की गई इस ख़ास रामलीला के प्रोड्यूसर-डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर मुस्लिम ही हैं तो साथ ही लक्ष्मण और सीता समेत रामलीला के तकरीबन आधे किरदारों को अक्लियत के लोग ही मंच पर पेश भी कर रहे हैं. तकरीबन डेढ़ घंटे की इस ख़ास उर्दू की रामलीला का पहला शो शनिवार को प्रयागराज में हुआ.
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View In Appमुस्लिमों द्वारा तैयार की गई उर्दू की इस ख़ास रामलीला का मंचन प्रयागराज के बाद अब अगले हफ्ते से देश के दूसरे सभी बड़े शहरों में किये जाने की तैयारी है. इस अनूठी रामलीला में बाकी सब तो वहीं है, जो वाल्मीकि रामायण व रामचरित मानस में है.
गंगा-जमनी तहज़ीब का संदेश देने वाले प्रयागराज शहर के मुस्लिम समुदाय के लोग अनोखे अंदाज़ में भगवान राम की महिमा का गुणगान करने में जुटे हुए हैं. यहां मुस्लिम समुदाय के लोग भगवान राम को धार्मिक दायरे से बाहर निकालकर पूरी दुनिया को उनकी मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि और उनके आदर्श, त्याग, विचार व संदेशों से बेहद ख़ास अंदाज़ में रूबरू करा रहे हैं, प्रयागराज के मुस्लिमों ने इसके लिए ख़ास तौर पर उर्दू में रामलीला को तैयार किया है. इस ख़ास रामलीला में राम के किरदार पर ही ज़्यादा फोकस भी किया गया है.
इसके डायलॉग उर्दू में हैं तो साथ ही इस अनूठी रामलीला के ज़रिये भगवान राम को एक ख़ास मज़हब के दायरे से बंधे होने की छवि से बाहर निकालकर उनकी मर्यादा पुरुषोत्तम की छवि को समूची दुनिया और समूची इंसानियत के लिए ज़रूरी बताने की शानदार कोशिश भी की गई है. इसीलिए इस रामलीला का नाम दिया गया है, दास्तान-ए-राम यानी मर्यादा पुरुष से भगवान बनने वाले राम की कहानी.
प्रयागराज में मंच पउर्दू की इस अनूठी रामलीला को देखने के लिए सैकड़ों की तादात में लोग जुटे. लोगों ने न सिर्फ इस रामलीला की तारीफ़ की, बल्कि इसके मकसद व संदेश को भी जी भरकर सराहा. रामलीला के मंचन के दौरान कई मुस्लिम किरदारों ने स्टेज पर अपनी प्रस्तुति के दौरान जय श्री राम का जयकारा भी लगाया.र इसका प्रस्तुतीकरण इतने शानदार तरीके से किया गया कि एनसीजेडसीसी सभागार में बैठे दर्शक डेढ़ घंटे के दौरान एक पल के लिए भी स्टेज से टकटकी नहीं हटा सके. इस अनूठी रामलीला के ज़रिये दुनिया को यह बताने की कोशिश की गई कि राम जीवन जीने का आदर्श व्यक्तित्व हैं. वह हिन्दुओं के लिए जितने अहम हैं, दूसरे मज़हबों के लिए भी उससे कतई कम नहीं.
रामलीला तैयार करने वालों से लेकर इसके मुस्लिम आर्टिस्ट तक ने एक आवाज़ में कहा कि राम के मंदिर के नाम पर आपस में विवाद और सियासी खींचतान पूरी तरह गलत हैं. राम सिर्फ हिन्दुओं के नहीं, बल्कि हम सब के हैं, इसलिए अयोध्या में राम के मंदिर को सभी को मिलकर बनाना चाहिए.
दास्तान -ए- राम की रामलीला सब को आसानी से समझ आ जाए, इसके लिए इसमें उर्दू के बेहद आसान लफ़्ज़ों का इस्तेमाल किया गया. इस रामलीला के प्रोड्यूसर शिक्षाविद और पत्रकार मोहम्मद तारिक खान हैं, तो डायरेक्टर मुस्तफा मलिक. स्क्रीन प्ले और डायलॉग दानिश इकबाल का है. रामलीला में सीता का किरदार शानफा रहमान ने निभाया तो अदनान ने लक्ष्मण का.
बेनहर्स फोरम फॉर थियेटर आर्टस के बैनर तले हुई उर्दू की इस रामलीला ने हिंदी और संस्कृत के बाद उर्दू में रामलीला के मुंशी प्रेमचंद के नब्बे बरस पुराने सपने को भी हकीकत में तब्दील करने का काम किया है. इसमें कर्नाटक की प्रचलित छाया कठपुतली का प्रयोग कर इसे और आकर्षक बनाया गया है तो साथ ही स्टेज पर भरतनाट्यम व कथकली के ज़रिये इसे अनूठा बनाने की भी कोशिश की गई है.
इसे तैयार करने में तकरीबन छह महीने का वक्त लगा है. पचास से ज़्यादा लोगों की टीम ने मिलकर इस अनूठी रामलीला को तैयार किया है. कहा जा सकता है कि दास्तान- ए- राम नाम की उर्दू की यह रामलीला अपने अनूठे संदेश की वजह से आने वाले दिनों में कामयाबी की ऐसी इबारत लिखेगी, जो राम के बेमिसाल व्यक्तित्व को और आगे बढ़ा सकती है.
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