कुंभ मेला 2019: मौनी अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी

प्रयागराज में कुंभ मेला सभी कुंभ पर्वो में व्यापक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. सूर्य जो ज्ञान का प्रतीक है, इस त्योहार में उदित होता है. शास्त्रीय रूप से ब्रह्मा जी ने पवित्रतम नदी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर दशाश्वमेघ घाट पर अश्वमेघ यज्ञ किया था और सृष्टि का सृजन किया था.

ABP News Bureau Last Updated: 04 Feb 2019 12:15 PM
कुम्भ के तमाम रंगों के बीच किन्नर अखाड़ा सुरक्षा की 3-4 एजेंसियों के घेरे के बीच कड़ी सुरक्षा के साथ त्रिवेणी घाट की ओर बढ़ रहा है
किसी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि भीड़ में कोई अराजक तत्व ना जा पाए और मेले में जुटे लाखों लोगों की सहायता के लिए कुंभनगर और इसके बाहर पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है.
रविवार से ही यहां लाखों लोग आने लगे थे और पुरुष, स्त्रियां, बूढ़े, युवा, संत, धार्मिक नेता, आध्यात्मिक गुरु और उनके अनुयाइयों ने इस वर्ष कुंभ के तीसरे शाही स्नान में भाग लिया.
रविवार से ही यहां लाखों लोग आने लगे थे और पुरुष, स्त्रियां, बूढ़े, युवा, संत, धार्मिक नेता, आध्यात्मिक गुरु और उनके अनुयाइयों ने इस वर्ष कुंभ के तीसरे शाही स्नान में भाग लिया.
दुनियाभर के श्रद्धालुओं ने मौनी अमावस्या के अवसर पर सोमवार सुबह सर्दी और कोहरे के बीच तीन पावन नदियों - गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में डुबकी लगाई.

अखाड़ों के साधु स्नान के लिए जाते वक्त अपनी ध्वजा भी साथ ले जा रहे हैं. आपको बता दें कि अखाड़े शाही स्नान के समय अपनी धर्म ध्वजा भी साथ लेकर चलते हैं. धर्म ध्वजा का अखाड़ों और वहां की पूजा में विशेष महत्व होता है.
तीन करोड़ की भीड़ के अनुमान को देखते हुए इस बार प्रशासन ने स्नान करने के लिए अलग-अलग घाट बनाए हैं, तकरीबन 40 घाट ऐसे हैं जो संगम तट के अलावा श्रद्धालु स्नान के लिए इस्तेमाल करते हैं.
आईसीसीसी के एक अधिकारी ने बताया कि रविवार शाम छह बजे तक एक करोड़ से अधिक लोगों ने स्नान किया था और रविवार रात्रि 12 बजे से सोमवार सुबह सात तक एक करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं.
प्रशासन ने जानकारी दी है कि सुबह सात बजे तक एक करोड़ 33 लाख श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं.

सुबह आठ बजे तक 1.5 करोड़ लोगों ने कुंभ में पवित्र डुबकी लगाई है. प्रशासन की ओर से तीन करोड़ लोगों के आज डुबकी लगाने उम्मीद जताई गई है. लेकिन जिस तरह से श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही उससे लगता है कि प्रशासन की ओर से दिया गया संभावित आंकड़ा पार कर जाएगा.
निरंजनी अखाड़े को नागा साधु अब स्नान के लिए जा रहे हैं. नागा साधुओं के साथ में भाले, तलवारें मौजूद हैं. निरंजनी अखाड़े के संन्यासियों के बारे कहा जाता है कि ये शस्त्र और शास्त्र दोनों में माहिर होते हैं. इस अखाड़े का फोकस शिक्षा जगत पर माना जाता है. इस अखाड़े में डॉक्टर, वकील और पीएचडी किए हुए साधु भी मौजूद हैं.
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी कुंभ में आज डुबकी लगाई. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पूरी कैबिनेट ने संगम में डुबकी लगाई थी. इसके साथ ही कुंभ मेले में ही उत्तर प्रदेश कैबिनेट की बैठक भी हुई थी.



प्रशासन से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक सुबह 6.15 बजे तक करीब एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संसगम में डुबकी लगाई है. कुंभ मेले में नजर रखने के लिए मेला प्रशासन ने जबरदस्त इंतजाम किए हैं. श्रद्धालुओं के लिए करीब 40 घाट तैयार किए हैं. वहीं सुरक्षा की दृष्टि से भी पूरे मेले में 440 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.पूरे इलाके को 10 जोन और 25 सेक्टर में बांटा गया है.

बैकग्राउंड

प्रयागराज: यूपी के प्रयागराज में आज मौनी अमावस्या पर दूसरा शाही स्नान है. आज सोमवार होने के कारण इसे सोमवती मौनी अमावस्या भी कहा जा रहा है. संगम में आज तीन करोड़ से अधिक लोगों के स्नान करने की उम्मीद है. सुबह 6.15 बजे महानिर्वाणी अखाड़ा के स्नाना के साथ ही शाही स्नान शुरू होना था लेकिन ये अखाड़ा समय से पहले ही संगम तट पर पहुंच गया. इसके साथ में ही अटल अखाड़ा भी शामिल है. जानकारी के मुताबिक सुबह 5 बजे तक कुंभ में 85 लाख लोगों ने स्नान किया है.


महानिर्वाणी अखाड़े के बाद 7.05 बजे निरंजनी अखाड़ा संगम तट पर आनंद अखाड़ा के साथ पहुंचेगा. अखाड़े को 40 मिनट में स्नान कर वापस जाना होगा. जूना के साथ अग्नि एवं आवाहन अखाड़ा ठीक 8 बजे शाही डुबकी लगाएगा. इस अखाड़े के शाही स्नान को देखने के लिए सबसे ज्यादा उत्सुकता रहती है. वैरागी अखाड़े 10.40 बजे शाही डुबकी लगाने को आएंगे.


इसके बाद 11.20 बजे दिगंबर अखाड़े का क्रम है. निर्मोही अखाड़ा 12.20 बजे पहुंचेगा. दिगंबर अखाड़े को सबसे अधिक एक घंटे का समय दिया गया है. सबसे अंतिम क्रम उदासीन अखाड़ों का है. नया पंचायती 1.15 बजे, बड़ा पंचायती 2.20 एवं निर्मल अखाड़ा 3.40 बजे संगम में डुबकी लगाने पहुंचेगा.


कुंभ के बारे में जानिए
कुंभ को आस्था, विश्वास, सौहार्द एवं संस्कृतियों के मिलन का पर्व कहा जाता है. कुम्भ जैसा विशालतम् मेला संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए आयोजित होता है. कुम्भ का शाब्दिक अर्थ है कलश और यहाँ ‘कलश’ का सम्बन्ध अमृत कलश से है.


बात उस समय की है जब देवासुर संग्राम के बाद दोनों पक्ष समुद्र मंथन को राजी हुए थे. मथना था समुद्र तो मथनी और नेति भी उसी हिसाब की चाहिए थी. ऐसे में मंदराचल पर्वत मथनी बना और नाग वासुकी उसकी नेति. मंथन से चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई जिन्हें परस्पर बाँट लिया गया. परन्तु जब धन्वन्तरि ने अमृत कलश देवताओं को दे दिया तो फिर युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गई. तब भगवान् विष्णु ने स्वयं मोहिनी रूप धारण कर सबको अमृत-पान कराने की बात कही.


अमृत कलश का दायित्व इंद्र-पुत्र जयंत को सौपा. अमृत-कलश को प्राप्त कर जब जयंत दानवों से अमृत की रक्षा हेतु भाग रहा था तभी अमृत की बूंदे पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरी- हरिद्वार, नासिक, उजैन और प्रयागराज. चूँकि विष्णु की आज्ञा से सूर्य, चन्द्र, शनि एवं बृहस्पति भी अमृत कलश की रक्षा कर रहे थे और विभिन्न राशियों (सिंह, कुम्भ एवं मेष) में विचरण के कारण ये सभी कुम्भ पर्व के द्योतक बन गये.


प्रयागराज में कुंभ का महत्व
प्रयागराज में कुंभ मेला सभी कुंभ पर्वो में व्यापक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. सूर्य जो ज्ञान का प्रतीक है, इस त्योहार में उदित होता है. शास्त्रीय रूप से ब्रह्मा जी ने पवित्रतम नदी गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर दशाश्वमेघ घाट पर अश्वमेघ यज्ञ किया था और सृष्टि का सृजन किया था.

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