लखनऊ: अयोध्या मामले पर इस महीने कभी भी फैसला आ सकता है, फैसले को लेकर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में 17 नंवबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले कोई भी विवादित बयान देने से बचने के लिए कहा है. राज्य के एक मंत्री ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री ने हमें इस मुद्दे पर अनावश्यक टिप्पणी करने से बचने के लिए कहा है."


आदित्यनाथ ने कथित तौर पर कहा कि किसी भी मंत्री को कोई टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, भले ही फैसला किसी के पक्ष में आए. यह निर्देश एक बड़े कार्यक्रम के अनुरूप था जिसे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने शुरू किया है.


केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि अयोध्या फैसले को लेकर जीत का जुनूनी जश्न नहीं होना चाहिए और न ही हार का हाहाकारी हंगामा होना चाहिए, सभी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करना चाहिए..उन्होंने कहा कि फैसला किसी एक पक्ष के हक में हो सकता है लेकिन ऐसा कोई जश्न नहीं होना चाहिए जिससे दूसरा पक्ष आहत हो. उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों से सौहार्द बनाए रखने की अपील की.


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी कई बैठकें की हैं जहां कैडरों को विवादित बयान देने से परहेज करने के लिए कहा गया है. संगठन ने ट्वीट कर कहा था, ‘'आगामी दिनों में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के वाद पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय आने की संभावना है. निर्णय जो भी आए उसे सभी को खुले मन से स्वीकार करना चाहिए. निर्णय के पश्चात देश भर में वातावरण सौहार्दपूर्ण रहे.''


जब आदित्यनाथ 26 अक्टूबर को 'दीपोत्सव' के लिए अयोध्या गए थे, तो उन्होंने संतों से मुलाकात की और उनसे किसी भी विवादित टिप्पणी पर कोई बयान नहीं देने के लिए कहा था. फैसले के मद्देनजर भविष्य में उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा करने के लिए बीजेपी अपने सदस्यों के साथ बैठकें करेगी.


बता दें कि मसले की सुनवाई करने वाली बेंच (पीठ) के अध्यक्ष चीफ जस्टिस (सीजेआई) रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. 16 नवंबर को शनिवार है और 17 नवंबर को रविवार है. ऐसे में फैसला इन दो तारीखों से पहले आ सकता है. इससे पहले कोर्ट ने इस मामले पर लगातार 40 दिन सुनवाई की जो 16 अक्टूबर को खत्म हुई.
इस पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं.