प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में प्याज की कीमतों ने सेंचुरी लगा दी है. यहां प्याज इन दिनों अस्सी से सौ रूपये किलो तक बिक रहा है. पॉश इलाकों में फेरी वाले तो इसे सौ रूपये से ज़्यादा में भी बेच रहे हैं. प्याज की आसमान छूती कीमतों से हाहाकार मच गया है. प्रयागराज में यह पहला मौका है जब प्याज की कीमतें सौ रूपये का आंकड़ा पार कर गई हैं. इतना ही नहीं, यहां टमाटर के दामों में भी आग लगी हुई है और वह भी सत्तर से अस्सी रूपये किलो में बिक रहा है. प्याज और टमाटर की कीमतों ने लोगों के घर का बजट बिगाड़ दिया है और किचन व खाने की थाली के स्वाद पर भी अपना असर डाला है.


प्याज और टमाटर के साथ ही दूसरी सब्ज़ियां भी काफी महंगी बिक रही हैं. प्रयागराज में थोक मंडी में प्याज साठ से सत्तर रूपये किलो बिक रहा है. इसमें प्रति किलो दस रूपये का और खर्च जोड़ने के बाद फुटकर कारोबारी अस्सी से सौ रूपये किलो में बेच रहे हैं.


कुछ जगहों पर तो कीमत एक सौ पांच और एक सौ दस रूपये किलो तक भी पहुंच गई है. कीमतों में आग लगने की वजह से इन दिनों सब्ज़ी मंडी में कम चहल पहल रहती है. जो ग्राहक आते हैं वह भी प्याज और टमाटर पाव भर या आधा किलो ही खरीदते हैं. लोगों का कहना है कि प्याज और टमाटर तकरीबन सभी सब्जियों में इस्तेमाल होते हैं, इसलिए इनकी आसमान छूती कीमतों ने उनके बटुए पर ख़ासा असर डाला है। लोगों के मुताबिक़ उन्होंने प्याज का इस्तेमाल कम कर दिया है.


वैसे प्रयागराज के लोगों को नवम्बर महीने तक प्याज की आसमान छूती कीमतों से कोई राहत नहीं मिलने वाली है. कारोबारियों का कहना है कि अगले महीने जब स्थानीय किसानों की फसल तैयार हो जाएगी, तभी कीमतें घटेंगी. कहा जा सकता है कि सेंचुरी लगाने के बाद भी प्याज की कीमतों में आने वाले दिनों में और बढ़ोत्तरी हो सकती है.


वहीं राजधानी दिल्ली में प्याज़ 100 रुपए किलो तक बिक रहा है. दिल्ली की आजादपुर मंडी में दो दिन पहले प्याज का थोक भाव 80 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया था. खुदरा में लोग 100 रुपये प्रति किलो प्याज खरीद रहे हैं. प्याज के बढ़ते दामों के बाद केंद्र सरकार ने प्याज आयात करने का फैसला लिया है.

80 से 100 कंटेनरों में प्याज भारत पहुंचेगी


उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही 80 से 100 कंटेनरों में प्याज भारत पहुंचेगी. प्याज कारोबार से जुड़े एक व्यापारी ने बताया कि देश के प्रमुख प्याज उत्पादक प्रदेशों में बारिश के कारण फसल खराब हुई है, इसलिए आयात नहीं होने पर आपूर्ति का टोटा बना रहेगा.


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