भारत में सड़क दुर्घटनाओं का विशाल अंकगणितिक मामला है और इसके परिणाम सामाजिक, आर्थिक और मानवीय होते हैं। इन दुर्घटनाओं में जान गंवाने और घायल होने वालों की संख्या चिंताजनक है, और इससे परिजनों और समाज को भारी नुकसान होता है। ऐसे मामलों में इंश्योरेंस पॉलिसीज का महत्व बढ़ जाता है, जिससे पीड़ित पक्ष को आर्थिक सहायता मिल सके।IREDA द्वारा आरटीआई के तहत पूछे गए सवालों के जवाब में खुलासा हुआ है कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं से जुड़े क्लेमों की संख्या बहुत अधिक है। इन क्लेमों के अंतर्गत लगभग 10,46,163 मामले पेंडिंग हैं, जिनमें लोगों ने अपने नुकसान की मुआवजा मांगा है। यह एक चिंताजनक और चौंकाने वाली स्थिति है, जो सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से देश के लिए मुख्य है। 2018-19 से 2022-23 के दौरान, इन क्लेमों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी गई है। यह दर्शाता है कि सड़क सुरक्षा के मामले में अभी भी काम किया जाना चाहिए और सरकार और संबंधित संगठनों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। इस संदर्भ में सुरक्षा उपायों को मजबूत करने और उन्हें प्रभावी बनाने के लिए कठोर कदम उठाने की जरूरत है।