27% गरीब भारतीयों की रेल छूट गयी? सुधार के नाम पर प्राइवेट की ओर दौड़ रही रेल! Master Stroke
एबीपी न्यूज़
Updated at:
14 Oct 2020 10:45 PM (IST)
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कहते हैं कि भारतीय रेल में हर दिन एक ऑस्ट्रेलिया सफर करता है. ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या ढाई करोड़ है और करीब इतने ही लोग हर रोज भारतीय रेल में सफर करते हैं और इनमें से भी ज्यादातर लोग जनरल और स्लीपर कोच में चलते हैं. एक साल में सिर्फ 18 करोड़ यात्री AC से चलते हैं जबकि नॉन AC से चलने वाले यात्रियों की संख्या 348 करोड़ है. इस आंकड़े की वजह से ये फर्क बहुत बड़ा है लेकिन अगर हम ये कहें कि भारतीय रेलवे को इन 348 करोड़ यात्रियों की कोई फिक्र नहीं है, तो शायद आपको विश्वास नहीं होगा.. लेकिन ये सच है. क्योंकि रेलवे ने फैसला किया है कि 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेनों से स्लीपर और जनरल कोच हटाए जाएंगे और उनकी जगह इन ट्रेनों में AC कोच लगाए जाएंगे. रेलवे का कहना है कि तकनीकी वजहों से ऐसा करना जरूरी है और ये कदम रेलवे को बेहतर बनाने में बहुत कारगर साबित होगा लेकिन जानकारों का मानना है कि ट्रेन की स्पीड बढ़ाने का NON AC कोच को हटाने से कोई लेना देना नहीं है. इसीलिए रेलवे के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि एक साल में जो 348 करोड़ लोग स्लीपर और जनरल बोगी से चलते हैं, क्या वो एसी का टिकट खरीद पाएंगे ? इसमें कोई दो राय नहीं है कि रेलवे का घाटा बहुत ज्यादा है लेकिन क्या अपना घाटा पाटने के लिए रेलवे गरीबों को भूल जाएगा.