Debate: Uniform Civil Code का विरोध सही या गलत? या फिर कोई चुनावी हथकंडा? देखिए सबसे बड़ी बहस
संविधान कहता है कि कानून की नजर में सब बराबर हैं..लेकिन जब कानून ही धर्मों के लिहाज से अलग अलग बना दिया गया हो तो फिर क्या कीजै..हमारे देश में क्रिमिनल लॉ सभी को एक नजर से देखता है...मगर सिविल लॉ अलग कर देता है..इसीलिए कॉमन सिविल कोड यानि यूसीसी बीजेपी के मेनिफेस्टो का हिस्सा रहा है..या यूं कहें कि आखिरी वादा जो अब तक पूरा करना बाकी है..यूसीसी के तहत ऐसा कानून लागू करने का प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा.. फिर चाहे उनका धर्म, लिंग, जाति कुछ भी हो.. इसे लेकर सुगबुगाहट दोबारा बढ़ी है..
लॉ कमीशन के पब्लिक नोटिस के बाद ऐसा हुआ है..अटकलों को बल मिला है..कि 2024 से पहले समान नागरिक संहिता को लागू कर दिया जाएगा..सालों से इस पर चर्चा हो रही है..बहस हो रही है..लेकिन मुहर अब तक नहीं लगी है..कहां पेंच हैं..क्या समाधान है..क्यों यूसीसी जरूरी है..और इसके आने से क्या बदलाव होंगे?