लाचार मज़दूर की यही पहचान, गोद में बच्चा... हाथ में प्राण | Ghanti Bajao | ABP News Hindi
ABP News Bureau
Updated at:
15 May 2020 11:24 PM (IST)
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इस वक्त भी देश के तमाम बड़े महानगरों में रोज कमाने खाने और घर चलाने के लिए अपना गांव छोड़कर आए मजदूर अब अपने गांव वापस जाने के लिए सड़क पर चल रहे होंगे। गोद में बच्चा होगा। कंधे पर बिटिया होगी। या फिर मां की उंगली पकड़कर बच्चे चल रहे होंगे। कोई दो सौ, कोई पांच सौ, कोई सात सौ किमी चल चुका होगा। सरकारें कह रही हैं ट्रेन चला दी। बस चला दी। लेकिन सच्चाई ये है कि लाखों मजदूरों को मदद मिली