Maharashtra Politics: विधानसभा चुनाव से पहले उद्धव-कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर तकरार |ABP News
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View In Appकुछ महीनों बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव आने वाला है. चुनाव आयोग ने कुछ दिन पहले देश के दो राज्यों में चुनाव की घोषणा की थी. हालांकि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा नहीं हुई है. कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव दिवाली के बाद ही होंगे . इसके अलावा एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और विधायक रोहित पवार ने आरोप लगाया है कि राज्य में माहौल महागठबंधन के खिलाफ है, इसलिए चुनाव टाले जा रहे हैं. इस बीच अगर इस वक्त राज्य में चुनाव हो तो उन्हें कितनी सीटें मिलेंगी? किसे कितना प्रतिशत वोट मिलेगा इसे लेकर एक नया सर्वे सामने आया है. इंडिया टुडे-सी वोटर्स का 'मूड ऑफ नेशन' सर्वे सामने आ गया है.
(AI Generated Transcript Below)
## महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी खबर: महाविकास आघाड़ी में सीटों को लेकर तकरार!
महाराष्ट्र की राजनीति से अभी एक बड़ी खबर आ रही है। महाविकास आघाड़ी में सीटों को लेकर पेंच फंस गया है। उद्धव ठाकरे और कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर तकरार की सूचना मिल रही है। उद्धव ठाकरे गठबंधन में ज्यादा सीटें चाहते हैं, लेकिन कांग्रेस उनके फार्मूले से सहमत नहीं है। सीटों को लेकर खटपट है, और उद्धव ठाकरे और कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर तकरार की खबर मिल रही है। महाराष्ट्र की राजनीति से अभी की बड़ी खबर, मेरे साथ कृष्णा ठाकुर। इसी खबर पर और अधिक जानकारी के साथ मौजूद हैं, कृष्णा। सीटों का यह मामला ज्यादा उलझता हुआ दिख रहा है, क्या?
**कृष्णा:** देखिए अखिलेश, बिल्कुल। महाराष्ट्र में जो है चुनाव सिर पर है। साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी पार्टियां अपनी जो स्ट्रेटेजी है, वो बनाने में लगी हुई हैं। प्राथमिक दौर की जो चर्चाएं हैं, वह भी शुरू हो गई हैं। इस बीच सूत्रों के हवाले से जो हमें खबर मिल रही है, वो यह मिल रही है कि कांग्रेस, महाराष्ट्र कांग्रेस, यह नहीं चाहती है कि विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे को ज्यादा सीटें दी जाएँ। इसके पीछे की वजह जो है, यह बताई जा रही है कि उद्धव ठाकरे ने जो लोकसभा का चुनाव था, तो 48 सीटों में सबसे ज्यादा 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद उद्धव ठाकरे दूसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गए थे। उद्धव ठाकरे की पार्टी को नौ सीटों पर जीत हासिल हुई थी। वहीं दूसरी तरफ अगर कांग्रेस की बात की जाए, तो कांग्रेस ने 17 सीटों, 17 सीटों पर चुनाव लड़कर 13 सीटों पर जीत हासिल की थी, जिसमें कि एक निर्दलीय का उनको शामिल है। तो अब ऐसे में कांग्रेस यह नहीं चाहती है कि उद्धव ठाकरे को ज्यादा से ज्यादा सीट दी जाए। कांग्रेस के नेताओं का यह मानना है कि राज्य में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। इसीलिए राज्य में इस वक्त जो माहौल है, वह कांग्रेस के हित में है, और इसीलिए कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने दिया जाए। यह प्रस्ताव कांग्रेस के नेताओं ने उद्धव ठाकरे के सामने रखा है। साथ ही साथ यह कहा है, उद्धव ठाकरे के सामने ये भी प्रस्ताव रखा गया है कि आप कम सीटों पर चुनाव लड़ें। ये जानकारी सूत्रों से मिल रही है। अब जाना चाहूंगा, इसी खबर पर उनसे भी बातचीत कर लेते हैं। वैभव, क्या इसे हम इस तरीके से देख सकते हैं कि एक प्रेशर टैक्टिस है दोनों के बीच, ताकि ज्यादा से ज्यादा सीटें झटक सके, या ज्यादा आप देख रहे हैं खटरपटर?
**अखिलेश:** देखिए, ये सीटों का एक बहाना है, लेकिन सीएम पद पर दावा है, ऐसी एक कहानी है। जितनी ज्यादा सीटें जो लेंगे, उनको सीएम पद के दावेदार के लिए उतनी ही उनकी शरीयत है, वो बढ़ सकती है। और इसीलिए हर एक पार्टी को, यानी कांग्रेस हो, ठाकरे हो, पवार हो, इन सभी को ज्यादा से ज्यादा सीटें चाहिए। देखिए, अभी शिवसेना ने कुछ ही दिन पहले अपनी एक बैठक बुलाई थी, होटल ट्राइड में। उसमें उन्होंने 124 का आंकड़ा कांग्रेस के पास भेजा था। लेकिन अगर 124 देते हैं, तो कांग्रेस कितने सीटों पर लड़ेगी? अब कांग्रेस इतनी नाराज हो गई है उद्धव ठाकरे से, क्योंकि बार-बार उद्धव ठाकरे सीएम पद को लेकर हर एक बार नए मंच, खुले मंच से वक्तव्य कर रहे हैं। आखिर क्यों चाहते हैं उद्धव ठाकरे सीएम पद इतने जल्दी? कौन चाहते हैं? इसके लिए अब कांग्रेस के जो वरिष्ठ नेता हैं, उनमें अभी थोड़ी-थोड़ी नाराजगी हो रही है। अब बात आती है सीटों के बंटवारे की। शरद पवार भी 90 सीट चाहते हैं, उद्धव ठाकरे 124 सीट चाहते हैं, तो नाना पटोले ने इससे पहले भी कहा है कि कांग्रेस की ताकत अब बढ़ गई है। देखो, लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद अब एमबीए का आत्मविश्वास है, वो काफी दुगना हो गया है। और इसी वजह से अब हर एक पार्टी को ज्यादा से ज्यादा सीट चाहिए थी। बातचीत की शुरुआत में भी कि तीनों दलों को लगता होगा कि जिनके ज्यादा विधायक चुन के आएंगे, उनका सीएम उनका होगा। इसलिए यह लड़ाई लग रहा है कि ज्यादा बढ़ती दिख रही है।
**कृष्णा:** जी, बिल्कुल। एकदम सही कहा है आपने। क्योंकि 2024 के चुनाव में सीएम पद को लेकर बार-बार उद्धव ठाकरे हैं, वो कांग्रेस को प्रेशर कर रहे हैं, पवार को प्रेशर कर रहे हैं। लेकिन यह बात साफ कह दी है कि चुनाव के बाद, यानी नतीजे आने के बाद ही सीएम पद का चेहरा है, वो जाहिर किया जाएगा। लेकिन अभी फिलहाल नहीं। बल्कि समावेशी सुशासन के मिजाज के साथ जनता जो है, वह अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेगी। और इसलिए अगर कुछ कुछ लोगों को लगता है कि सामंती सियासत का रिवाज ही चलता रहेगा, और हम हमारी जो वहां की जो जनता है, वो हमारी जागीर है, तो वो उनकी बहुत बड़ी गलतफहमी। लेकिन सर, चर्चा ये चल रही है कि महाविकास आघाड़ी में इस वजह से ये जो है मतभेद हो रहा है, क्योंकि जो लोकसभा चुनाव है, वहां पर उद्धव ठाकरे की पार्टी उतना बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाई है, और कांग्रेस उसी को लेकर के दबाव बना रही है।
**अखिलेश:** कुछ नहीं है, ये रिश्तेदारी का हिस्सेदारी का झगड़ा है। ये रिश्तेदारों में हिस्सेदारी का झगड़ा है। ये परिवार में जो खटापट होती है ना, तो इनका कोई इसमें कोई कार्यक्रम नहीं है, नीतियां नहीं है। केवल एक कार्यक्रम, एक नीति, और जो जितने भी इनके खानदानी खिलाड़ी हैं, उनकी सबकी एक है कि साहब, सत्ता के सिंहासन पे कैसे पहुंचे?
**कृष्णा:** जी, सर। इसी से जुड़ा हुआ है। बस एक और सवाल है महाराष्ट्र से ही कि जैसे-जैसे चुनावों की तारीख नजदीक आ रही है, महाविकास आघाड़ी का यही दावा है कि वह एनडीए को सत्ता से जो है बाहर करेंगे, क्योंकि जनता एनडीए के साथ में अब नहीं है। देखिए, यह जनता किसके साथ है, यह तो चुनाव के जब ईवीएम में बंद होंगे जनता का मताधिकार और जनता का जनादेश, तो पता लग जाएगा। इसलिए अभी गलतफहमी इनको पाले रहने दीजिए। मुक्तार अब्बास नकवी को आपने सुना, उनकी प्रतिक्रिया जिस तरीके की लड़ाई एनजीए के अंदर नजर आ रही है, वैभव। परव मेरे साथ मुंबई से लगातार जुड़े हुए हैं, मेरे सहयोगी और वैभव। देखिए, सवाल तो ये भी है कि इस गठबंधन के जो तमाम नेता हैं, जो घटक दल के लोग हैं, वह तो बार-बार यही कहते हैं कि हमारी लड़ाई संविधान बचाने की है, देश को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन कुल मिलाकर जो सीटों को लेकर अब हम देख रहे हैं कि आपस में तनातनी, ऐसा लग रहा है कि ये कुर्सी की ही लड़ाई है।
**वैभव:** मैं पहले से वही कह रहा हूं कि पहले दिन से जब से ए की विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ने की बात हुई है, तब से सीएम की खुशी तीनों पार्टियों को दिख रही है। मैं बोलते बोलते रुक गया था। नाना ने लोकसभा चुनाव के बाद पहले ही कहा था कि कांग्रेस 150 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अगर कांग्रेस 150 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उद्धव ठाकरे 124 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, तो यहां पर सवा 200 तो ऐसे ही हो जाए। पे है तो बाकी बचे हुए सीट क्या शरद पवार लड़ने के लिए तैयार है क्या? यह सवाल पहले आता है। अगर उद्धव ठाकरे को 100 से ज्यादा सीट नहीं मिली, तो उद्धव ठाकरे की भूमिका क्या रहेगी? इस पर भी अभी सवाल बना हुआ है। क्योंकि कांग्रेस का कहना ऐसा है कि लोकसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे के जो भी नतीजे आए, वो कांग्रेस के बलबूते पे आए। जो भी दलित मुस्लिम वोट्स मिले हैं, वो कांग्रेस के ठाकरे को मिले हैं। क्योंकि ठाकरे की भूमिका ही मूलत से हिंदुत्ववादी है। हिंदुत्ववादी को अगर... सेकुलर वोट है, यह कांग्रेस की जिम्मेदारी है, और ये कांग्रेस का विजय है। उसी बहाने से अब देखा जाए तो कांग्रेस आत्मविश्वास इतना दुगना हो गया है कि कांग्रेस अब ठाकरे को कम ले चुकी है। तो इसकी वजह से जो लड़ाई शुरू हो गई है कुर्सी को लेकर, तो उसका ठीक है। इस पर नजर बनाकर रखिए। डेवलपमेंट पर कुछ अपडेट हो तो दोबारा मैं आपके पास आऊंगा।