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दूसरों को सियासत के शिखर पर पहुंचाने वाले Prashant Kishore का सियासी भविष्य क्या? | राज की बात
सियासत ऐसी चीज है जो मैनेज नहीं हो सकती, इसे साधने के लिए जनता के मन में उतरना पड़ता है. लेकिन बीते कुछ सालों में ये परिभाषा बदली है. नई परिभाषा को गढ़ने वाले नाम है पीके यानि की प्रशांत किशोर. यूपी से बंगाल तक, पंजाब से महाराष्ट्र तक ये धारणा आम हो चुकी है कि चुनावी गणित में पीके को जोड़ दिया जाए तो आंकड़ों का ओके होना लगभग तय हो जाता है. सियासी सपनों के सौदागर बन गए हैं पीके. निराधार सूरमाओ के भविष्य के आधार बन गए हैं पीके. लेकिन जब ये सवाल उठता है कि आखिर पीके का भविष्य क्या है तब स्थिति अस्पष्ट और उहापोह वाली हो जाती है. आज राज की बात में हम आपको बताएंगे कि कई राज्यों के दलों और उनके सरपरस्तों के सियासी भविष्य को सेट कर देने वाले प्रशांत किशोर का भविष्य कहां अटका हुआ है.
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शंभू भद्रएडिटोरियल इंचार्ज, हरिभूमि, हरियाणा
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