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Nirbhaya के गुनहगारों को फिर तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख | Master Stroke
Justice delayed is justice denied. यानी न्याय में देरी अन्याय से कम नहीं है. और यही अन्याय निर्भया के केस में हो रहा है. सितंबर 2013 में सभी दोषियों को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, मार्च 2014 में हाई कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा, फिर मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले पर मुहर लगा दी. यानी करीब ढाई साल पहले देश की सबसे बड़ी अदालत जिन्हें फांसी पर लटकाने का आदेश दे चुकी हो, उन्हें आज तक फांसी नहीं हुई. निर्भया के परिवार ने इंसाफ की जो लंबी लड़ाई लड़ी उसके बाद पहली बार फांसी की एक तारीख तय हुई थी - 22 जनवरी, लेकिन अब इस तारीख पर भी नई तारीख पड़ गयी है - मतलब फांसी फिर टल गयी.
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