दिल्ली दरबार पहुंचा मुंबई का दंगल । GHANTI BAJAO
ABP News Bureau
Updated at:
25 Apr 2022 11:51 PM (IST)
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View In Appअंग्रेज तो चले गए लेकिन वो कानून आज भी फल फूल रहा है और धड़ल्ले से इस्तेमाल भी हो रहा है. हम बात कर रहे हैं राजद्रोह वाले कानून की. जो मानो लगता है राजनीतिक उत्पीड़न का औजार बन गया हो. वरना क्या वजह है कि साल 2014 से 2020 तक जिन लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ उनमें से सिर्फ ढाई प्रतिशत लोगों के खिलाफ ही आरोप साबित हो पाए. नया मामला नवनीत राणा का है. जो उद्द्वव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ना चाहती थीं लेकिन राजद्रोह के आरोप में जेल चली गईं. हमारी ये मुकम्मल रिपोर्ट देखिए और राजद्रोह कानून का बेजा इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ घंटी बजाईए