आंदोलन खत्म ना करना पड़े, क्या इसीलिए किसान 'बैंक आंदोलन' की बात कर रहे?
क़रीब एक साल पहले देश के कुछ राज्यों में किसानों ने आंदोलन शुरू किया था...इस आंदोलन का मक़सद था तीन कृषि क़ानूनों का विरोध...सरकार से तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग की गई...19 नवंबर को पीएम मोदी ने किसानों की मांग मानते हुए क़ानून वापस लेने का एलान कर दिया और उसके 10 दिनों के बाद संसद ने भी कृषि क़ानूनों की वापसी को मंज़ूरी दे दी. लेकिन आंदोलन अब भी जारी है...कब ख़त्म होगा किसी को मालूम नहीं...अब मुख्य मुद्दा MSP गारंटी क़ानून और किसानों से मुक़दमा वापसी बन गया है...वो भी तब जब MSP गारंटी क़ानून को लेकर ख़ुद पीएम मोदी कमेटी बनाने का एलान कर चुके हैं...किसानों से पंजाब सरकार मुक़दमा वापस लेने का एलान कर चुकी है, हरियाणा सरकार ने भी मुक़दमा वापस लेने का भरोसा दिया है...और अब किसानों की मांगों में बैंकों का मुद्दा भी शामिल हो गया है...इस आंदोलन के सबसे चर्चित चेहरे राकेश टिकैत अब बैंकों के प्राइवेटाइज़ेशन के मुद्दे पर आंदोलन की अपील कर रहे हैं...तो क्या अब किसान बैंकों के मुद्दे पर आंदोलन करेंगे...या ये मुद्दे सिर्फ़ मोदी सरकार के विरोध के लिए है?