जन मन: सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जाति-धर्म के नाम पर वोट मांगना गैरकानूनी
चुनाव में धर्म या जाति के नाम पर वोट मांगने को सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से गैरकानूनी करार दिया है. अब कोई उम्मीदवार अपने धर्म, जाति या भाषा के आधार पर वोट नहीं मांग सकेगा. किसी वर्ग विशेष के मतदाताओं से भी एक उम्मीदवार या पार्टी को वोट देने की साझा अपील नहीं की जा सकेगी.
क्या है फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) की नए सिरे से व्याख्या करते हुए उसमें वोटरों को भी जोड़ दिया है. अब तक इस धारा के दायरे में सिर्फ उम्मीदवार आते थे. उम्मीद जताई जा रही है कि वोटरों को भी शामिल करने के बाद इस फैसले के बाद धार्मिक नेताओं की तरफ से जारी होने वाली वोट अपीलों पर लगाम लगेगी. यानी अगर कोई धार्मिक नेता किसी उम्मीदवार या पार्टी के लिए अपने समुदाय से वोट की अपील करे तो उम्मीदवार इस बात की आड़ नहीं ले सकेगा कि वो खुद उस समुदाय से नहीं है.