इस शिक्षक ने साबित किया – म्हारी छोरियां छोरे से कम हैं के...
एक कहावत है कि जिम्मेदारी किसकी, जो मान ले उसकी और इस कहावत पर सटीक उतरता है बिहार के शिक्षा विभाग में कार्यरत स्कूली शिक्षक – संजय पाठक का जीवन । स्कूल टीचर की सरकारी नौकरी से संजय पाठक का जीवन ठीक चल रहा था, कि एक दिन उन्हें लगा कि वो शिक्षक सिर्फ इसलिए नहीं बनें कि स्कूल आएं, जाएं बच्चों को पढ़ाएं और बस जिम्मेदारी खत्म । उन्हें लगा कि उन्हें एक शिक्षक के तौर पर समाज के लिए इससे कुछ अधिक करना चाहिए और बस उन्होंने अपने इलाके की गरीब लड़कियों को खेल के ज़रिए आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी ले ली । उनकी ये कोशिश अब उनके शहर सीवान की सैंकड़ों लड़कियों का भाग्य बदल रही है । जो लड़कियां चूल्हे, चौके से फुर्सत नहीं पाती थी, जिनके नसीब में कायदे की पढ़ाई तक नहीं थी उनके लिए संजय पाठक अपने दम पर चला रहे हैं रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्टस अकेडमी ।
रिपोर्टर एवं प्रोड्यूसर – विकास कौशिक
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