भूपेश बघेल सरकार में वनवासियों को मिला हक, सरकार ने लौटाई लोहंडीगुड़ा में जमीन
ABP News Bureau
Updated at:
02 Jan 2020 05:24 PM (IST)
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जल, जंगल और जमीन से आदिवासियों का क्या रिश्ता है यह समझने के लिए आपको बस्तर के लोहंडीगुड़ा की यात्रा करनी चाहिए. 2008 में इस क्षेत्र में टाटा का स्टील प्लांट लगाने का फैसला हुआ. उसके बाद सरकार ने 1707 वनवासियों से करीब 4200 एकड़ जमीन अधिग्रहित की. ज्यादातर वनवासियों को उनकी जमीन का मुआवजा भी दे दिया गया. लेकिन स्थानीय वनवासी शुरू से ही इस प्लांट के खिलाफ थे. उन्होंने आंदोलन छेड़ दिया. वनवासियों के लंबे संघर्ष की वजह से टाटा समूह ने स्टील प्लांट लगाने का फैसला रद्द तो कर लिया, मगर जमीन पर दावा बरकरार रखा था. बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने आदिवासियों से उनकी जमीन लौटाने का वादा किया था. अब भूपेश बघेल सरकार ने यह वादा पूरा कर दिया है. जमीन का मुआवजा भी वनवासियों के पास ही छोड़ दिया गया है. यही नहीं इस जमीन के सौदे में वनवासियों के साथ धोखा भी हुआ था. सरकार का कहना है कि वनवासियो के साथ हुई हर ज्यादती का हिसाब होगा. इस मामले की जांच की जा रही है और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. आज छत्तीसगढ़ के लोहंडीगुड़ा क्षेत्र के आदिवासियों के चेहरे पर खुशियां लौट आयी हैं. और ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि प्रदेश की मौजूदा सरकार आदिवासी हितों को लेकर संवेदनशील है.
(डिस्क्लेमर- ये ABPLive Brand Studio की प्रस्तुति है. कार्यक्रम में बताई गयी जानकारियाँ, विचार और अनुभव कार्यक्रम में शामिल लोगों के निजी विचार हैं, इससे एबीपी न्यूज़ नेट्वर्क का कोई लेना देना नहीं है.)
(डिस्क्लेमर- ये ABPLive Brand Studio की प्रस्तुति है. कार्यक्रम में बताई गयी जानकारियाँ, विचार और अनुभव कार्यक्रम में शामिल लोगों के निजी विचार हैं, इससे एबीपी न्यूज़ नेट्वर्क का कोई लेना देना नहीं है.)