समाजवाद पर तूफानी संग्राम, सियासी दावों का इम्तिहान ! | BJP Vs SP | CM Yogi Vs Akhilesh Shivpal
राजनीति के शब्दकोश में हर दौर में नए शब्द शामिल होते रहे हैं। लेकिन समाजवाद - शब्द का मामला अलग है। भले आज ये सियासत के केंद्रबिंदु में हो..लेकिन सच ये है कि राजनीतिक बहस...के केंद्रबिंदु में सबसे बड़ा सवाल ये है कि- असली समाजवादी कौन है? बहस इस बात पर हो रही है कि किसका समाजवाद...किस रंग का है। किस तेवर का है। और इसके रास्ते पर चलकर कहां तक पहुंचा जा सकता है। राजनीति एक विज्ञान है..और विज्ञान का आधार सिर्फ सिद्धांत नहीं...प्रयोग भी होते हैं। हर प्रयोग का एक तय फॉर्मूला होता है। जिसके जरिए नतीजे हासिल किए जाते हैं...लेकिन राजनीति का विज्ञान..इस मामले में कुछ अलग है। क्योंकि ये जरूरी नहीं कि सियासी दल...चुनावी जीत के लिए जो फॉर्मूला तय करें...वो हर हाल में कामयाब हो जाए। इसलिए वो चुनावी मैदान में जमकर पसीना बहाने के बाद..भी भावनात्मक मुद्दे की तलाश में रहते हैं। हर दल के नेता विरोधियों की कमियां निकालते हैं। अब सवाल है कि समाजवाद शब्द पर बहस के जरिए क्या मकसद हासिल किया जाना है।