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पांच राज्यों तक क्यों सिमटा किसानों का आंदोलन ? | Baat To Chubegi
किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में अपने अधिकारों की लड़ाई का सबसे कारगर जरिया होता है आंदोलन, क्योंकि सरकार और सिस्टम पर दबाव बनाने का अंतिम विकल्प यही होता है, पर जिस तरह किसान आंदोलन अपने आगाज के बाद से ही लगातार खिंचता जा रहा है. उससे मुश्किल बढ़ती ही जा रही है. चुभने वाली बात ये है कि अन्नदाता के जिस आंदोलन को देशभर का आंदोलन बताने की कोशिश की जा रही है. वो दरअसल बेहद कम हिस्से में सिमट कर रह गया है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि अगर किसानों की अगुआई करने वाले नेता जो मांग कर रहे हैं वो जायज है, तो फिर क्यों ये देशभर का आंदोलन नहीं बना.
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