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फिर नहीं बनी बात, अब 26 जनवरी को क्या करने वाले हैं किसान? | Kisan Andolan | ABP Ganga
सरकार और किसानों के बीच आज की बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला. सरकार ने बैठक खत्म होने के बाद सफाई दी कि किसान कोई विकल्प ही नहीं दे पाए. ऐसे में समाधान कैसे होता. अब सरकार ने किसानों को 15 जनवरी को फिर से बातचीत के लिए बुलाया है. सरकार ने किसानों को अगली तारीख दे दी है, लेकिन शुक्रवार को हुई बैठक के बाद किसानों के तेवर और ज्यादा कड़े नजर आए. किसानों ने साफ कहा कि वो बड़ी से बड़ी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं. किसानों का साफ कहना है कि उन्हें कृषि कानून वापस लेने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है. बता दें कि कृषि कानून के विरोध में किसान 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार और किसानों के बीच बातचीत का दौर इस आंदोलन से पहले से जारी है. पहले दौर की बात 14 अक्टूबर को हुई थी, इसमें कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की जगह कृषि सचिव आए, लेकिन किसान संगठनों ने मीटिंग का ये कहते हुए बायकॉट कर दिया कि वो कृषि मंत्री से ही बात करना चाहते है.इसके बाद दूसरे दौर की बात हुई 13 नवंबर को यानी ठीक 1 महीने के बाद. इसमें सरकार ने किसानों की बात को माना और इस बार कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के साथ मीटिंग की. ये बैठक करीब 7 घंटे चली, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. दूसरे दौर में बात नहीं बनने के बाद 1 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच तीसरे दौर की बात हुई. ये मीटिंग करीब 3 घंटे चली. इसमें सरकार ने एक्सपर्ट कमेटी बनाने का सुझाव दिया, लेकिन किसान संगठन तीनों कृषि कानून रद्द करने की मांग पर अड़े रहे और ये बैठक भी बेनतीजा रही. फिर 3 दिसंबर को सरकार और किसान चौथी बार बातचीत की टेबिल पर आए. इस बार साढ़े 7 घंटे तक बातचीत चली. सरकार ने वादा किया कि MSP से कोई छेड़छाड़ नहीं होगी, लेकिन किसानों का कहना था कि सरकार MSP पर गारंटी देने के साथ-साथ तीनों कानून भी रद्द करे. जिसके चलते बात फिर नहीं बनी. 5 दिसंबर को 2020 को सरकार और किसान के बीच पांचवे दौर की बात हुई. इसमें सरकार MSP पर लिखित गारंटी देने को तैयार हुई, लेकिन किसानों ने साफ कहा कि कानून रद्द करने पर सरकार हां या न में जवाब दे और फिर बात बिगड़ गई. 30 दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच छठे दौर की बात हुई. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसान संगठनों के 40 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की. जिसमें किसानों की 4 मांगों में से दो मुद्दों पर सहमति बनी, लेकिन दो पर मतभेद कायम रहे और फिर बात बिगड़ गई. 4 जनवरी 2021 को सरकार और किसान 7वीं बार फिर आमने-सामने आए. सोचा कि पुराने साल का मसला नए साल पर तो सुलझ जाएगा. 4 घंटे चली बैठक में किसान कानून वापसी की मांग पर अड़े रहे और जब मीटिंग खत्म हुई तो कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है. सरकार का साफ कहना था कि हम अगर दो कदम पीछे हट रहे हैं, तो किसान भी थोड़ा पीछे हटें. वहीं, 8 जनवरी 2021 को विज्ञान भवन में सरकार और किसानों के बीच 8वें दौर की बात हुई. करीब ढाई घंटे तक बातचीत चली, लेकिन बात इस बार भी नहीं बनी. अब सवाल इस बात का है कि आखिर सरकार और किसानों के बीच बात कैसे बनेगी, क्योंकि किसानों ने अपना रुख साफ कर दिया है.
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