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SC ने क्यों कहा- हम PM से नहीं कह सकते, वो किसानों से मिलने जाएं | Kisan Andolan | ABP Ganga
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार की सुनवाई में इसकी हिंट दे दी थी. वो तीनों कृषि कानून के अमल पर रोक लगा सकती है और इसका एहसास कहीं ना कहीं केंद्र सरकार को भी था और जब मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम समाधान चाहते हैं, इसलिए तीनों कृषि कानून के अमल पर रोक लगाते हैं. हालांकि ये रोक अनिश्चितकाल के लिए नहीं है. इसके जवाब में सरकार का पक्ष रख रहे अर्टार्नी जनरल केके वेणुगोपाल बोले और किसान आंदोलन में फंडिंग का मुद्दा उठाया. अटॉर्नी जनरल जनरल ने कहा किसानों के प्रदर्शन में खालिस्तानियों की घुसपैठ है. इस पर सीजेआई ने कहा कि अगर ऐसा है तो कल तक केंद्र सरकार हलफनामा दे. जवाब में अटॉर्नी जनरल कहा कि हम हलफनामा देंगे और आईबी रिकॉर्ड भी देंगे. मतलब सरकार का कहना है कि उसके पास पूरे सबूत है. आपको बता दें कि किसान आंदोलन में सरकार की तरफ से लगातार दावा किया जाता रहा है कि किसान आंदोलन को खालिस्तानियों ने कैप्चर कर लिया है. जिसके जवाब में किसान कहते रहे कि ये आंदोलन उनका है. इसका कोई राजनीतिक कनेक्शन नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने आज सरकार को झटका तो दिया ही. साथ ही साथ एक टिप्पणी किसान आंदोलन को लेकर भी की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसान आंदोलन कर सकते हैं, लेकिन अनिश्चितकालीन आंदोलन किसी समस्या का हल नहीं है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी तब आई जब सुप्रीम कोर्ट ने समिति बनाने का प्रस्ताव दिया. जिसपर किसानों का पक्ष रख रहे वकील एमएल शर्मा ने ऐतराज जताया और कहा कि किसान किसी समिति के समक्ष नहीं जाना चाहते. किसानों की साफ और सीधी मांग है कि कृषि कानून वापस हो, नहीं तो किसान प्रदर्शन करते रहेंगे. इसपर सीजेआई ने कहा कि हम कानून को अमल में लाने पर रोक लगाकर हल निकालने का रास्ता निकालना चाह रहे हैं. हम लोगों की जान-माल और संपत्ति के नुकसान को लेकर चिंतित हैं और हमारे पास यह शक्ति है कि हम कानून पर रोक लगाएं और हल निकालने के लिए समिति का गठन करें, जो हल चाहता है वह समिति के पास जाएगा. समिति हमारे समक्ष रिपोर्ट देगी. ये बात किसानों के लिए एक टिप्पणी थी. वैसे किसानों पर एक टिप्पणी सोमवार को भी सीजेआई एसए बोबड़े ने की थी. तब सीजेआई ने आंदोलन में बुजुर्ग और महिलाओं के शामिल होने पर कहा था कि वो अपने घर लौट जाए. मगर आज की सुनवाई में कॉन्टेंक्ट फार्मिंग से किसानों की जमीन जाने का मुद्दा भी उठा. जिसपर सीजेआई ने भरोसा दिलाते हुए कहा कि किसी किसान की कोई जमीन नहीं जाएगी. इस दौरान किसानों का पक्ष रख रहे वकील एमएल शर्मा ने कहा कि पीएम ने अबतक किसानों से कोई बात नहीं की. जिसपर सीजेआई ने कहा कि हम पीएम से नहीं कह सकते कि वो किसानों से मिलने जाएं क्योंकि वो इसमें कोई पार्टी नहीं है.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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