कबूल है.. कबूल है... कबूल है | Ram Mandir | ABP Ganga
ABP News Bureau
Updated at:
01 Jan 1970 05:30 AM (IST)
Download ABP Live App and Watch All Latest Videos
View In App
देश की सबसे बड़ी अदालत में चल रहा सबसे बड़ा मुकदमा अपने निर्णायक मोड़ की तरफ बढ़ रहा है। फैसला आना ही है और माना जा रहा है कि जल्दी आएगा लेकिन इससे पहले दलीलों में कुछ संकेत उभरने लगे हैं। इन दलीलों से जाहिर होता है कि अयोध्या का फैसला जो भी हो, सबको कबूल है, कबूल है, कबूल है। दरअसल, 23 सितंबर को मुस्लिम पक्ष की तरफ से दलील रखने वाले राजीव धवन ने अदालत में दी दलील में इस बात का साफ तौर पर इशारा किया कि जन्मभूमि पर राम के जन्म को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं है। अयोध्या में दावे वाली जगह राम ने जन्म लिया ये भी कबूल है। बावजूद इसके मसला महज मंदिर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में 29वें दिन सोमवार को बहस करते हुए सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने ये माना कि विवादित स्थल पर ही भगवान श्रीराम का जन्म हुआ और हिंदू पक्ष का अधिकार है यानि विवादित स्थल के बाहरी अहाते। राम चबूतरे पर मन्दिर था और वहां पूजा होती थी हालांकि मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन का कहना है कि सिर्फ राम चबूतरे पर ही उनका अधिकार है लेकिन इस बात से भी कतई इनकार नहीं किया जा सकता है कि 1528 में पौने पांच सौ साल पहले मस्जिद बनाई गई थी और 22 दिसंबर 1949 तक लगातार यहां पर नमाज हुई। तब तक वहां अंदर कोई मूर्ति नहीं थी। धवन ने ये भी कहा कि अगर भगवान राम और अल्लाह का सम्मान नहीं किया जाता तो ये महान देश विभाजित हो जाएगा।