अखिल भारतीय सिविल सेवा परीक्षा का बुधवार (17 अप्रैल) को फाइनल रिजल्ट आया. 350 डीएम और एसपी चुने गए. इसके अलावा, पूरे देश में नौकरी करने वाले 666 दूसरे अधिकारी सफल हुए. UPSC EXAM को देश के सबसे बड़े सपने का सबसे कठिन टेस्ट कहा जाता है. इस लिस्ट से देश के हजारों घर खुश हैं. करोड़ों लोगों को लग रहा है कि उनके घर में भी ये खुशी आ सकती है. सब सफल प्रत्याशियों की बातें सुन रहे हैं. पता नहीं किसे सक्सेस का गोल्डन मंत्र मिल जाए, लेकिन इसी खुशी के बीच में सोशल मीडिया में कुछ मैसेज बहुत वायरल हैं. 


मैसेज व्हाट्सअप के जरिए लोगों के पास पहुंच रहा है. इसमें लिखा है,  'UPSC में इस साल 50 मुस्लिम चयनित हुए. UPSC के इतिहास में अबतक किसी भी बैच में  इतनी संख्या में मुस्लिम अभ्यार्थियों का चयन नहीं हुआ था. क्या बीजेपी अब विरोधियों को जवाब देगी ? जो कहते हैं कि मोदी सरकार में मुसलमान खतरे में हैं.'


इसके बाद मैसेज के साथ एक लिस्ट सामने आती है, जिसमें लिखा है, 'ये हैं 50 मुस्लिम कैंडिडेट्स.' इसके बाद 50 नामों की लिस्ट है, जिसमें संख्या, नाम और ब्रैकेट में ऑल इंडिया रैंक लिखी हुई है. लिस्ट में पहला नाम नौशीन ऑल इंडिया रैंक 9 और फिर 50वां नाम अजमल हुसैन ऑल इंडिया रैंक एक हजार तेरह लिखी हुई है. इसके बीच में बाकी सब नाम हैं. हमने पिछले कुछ सालों के रिजल्ट निकलवाए, इसमें मुस्लिम कैंडीडेट की जांच करवाई तो जो आंकड़े सामने आया वो चौंकाने वाला था.


साल 2023 में सर्वाधिक मुस्लिम सक्सेस का दावा है. ये एक हजार सोलह पदों में 51 है यानी कुल पद का पांच प्रतिशत. 2022 में नौ सौ तैंतीस पद थे सफल मुस्लिम कैंडीडेट थे 29 यानी तीन प्रतिशत. 2021 में छह सौ पच्चासी सीट थी. सफल मुस्लिम कैंडीडेट 25 थे मतलब 3.6 प्रतिशत. साल 2020 में सात सौ इकसठ पद थे सफल मुस्लिम प्रत्याशी 31 मतलब चार प्रतिशत. 2019 में  829 पद थे. सफल मुस्लिम प्रत्याशी 44. मतलब कुल का 5.3 फीसदी.


2018 में कुल पद 769. सफल मुस्लिम कैंडीडेट 28. कुल का 3.7 प्रतिशत. 2017 मे कुल पद 980. सफल मुस्लिम कैंडीडेट 50. मतलब कुल का 5.1 फीसदी. 2016 में पद 1,099. सफल मुस्लिम केंडिडेट 52. कुल का 4.7 फीसदी. अब अगर आप 2 वर्ष पर ध्यान दें तो 2023 में 1,016 सफल प्रत्याशियों में सफल मुस्लिम 50 मतलब 5फीसदी. 2017 में 980 में 50 यानी 5.1 प्रतिशत. फिर 2019 में 829 में 44 यानी 5.3 फीसदी. कहने का मतलब है कि मुस्लिम कैंडीडेट्स की रिकॉर्ड तोड़ सक्सेस के दावे में  2017 और 2019 के नतीजे 2023 से बेहतर कहे जा सकते हैं. मतलब मौजूद आंकड़ों के सामने रिकॉर्ड 2019 के नाम है न कि 2023 के नाम है.


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