BoB Fact Check: सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा के बाहर लोगों की लंबी लाइन लगी हुई दिख रही है. वहीं, इस तस्वीर को शेयर करने वालों का दावा है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में बैंक ऑफ बड़ौदा के ग्राहक अपने खाते बंद कर रहे हैं क्योंकि बैंक के सीईओ ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद कंपनी को अरबों का नुकसान होने के बाद बैंक अडानी समूह को लोन देना जारी रखेगा. आइये विस्तार से जानते हैं कि वायरल तस्वीर को लेकर हो रहे दावों की असल में सच्चाई क्या है?


क्या था मामला
अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अडानी समूह ने 24 जनवरी को प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में धोखाधड़ी की थी. रिपोर्ट के मद्देनजर, समूह को 100 बिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा. इससे पहले फरवरी में बैंक ऑफ बड़ौदा के सीईओ और एमडी संजय चड्ढा ने कहा था कि बैंक अडानी समूह को अतिरिक्त धन उधार देने के लिए तैयार था और कहा कि वह अडानी शेयरों के आसपास बाजार की अस्थिरता के बारे में चिंतित नहीं था.


कैसे मिली जानकारी
बैंक ऑफ बड़ौदा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक ट्वीट में बैंक ने बयान दिया था. बयान में कहा गया है कि कमर्शियल कारणों से अल ऐन शाखा को बंद करने का निर्णय एक साल पहले लिया गया था. शाखा 22 मार्च को बंद होने वाली थी और जो लोग अपने खाते बंद करना चाहते थे, उन्हें इससे पहले ऐसा करना था.






फेसबुक पर किया पोस्ट
इसको लेकर रिज़ कुरैशी नाम के एक फेसबुक यूजर ने बीते रविवार को पोस्ट भी किया था. उसने लिखा था यूएई में बैंक ऑफ बड़ौदा की अल ऐन शाखा बंद हो रही है और अबू धाबी स्थानांतरित हो रही है, जो किसी भी अडानी मुद्दे से संबंधित नहीं है क्योंकि सोशल मीडिया में समाचार प्रसारित हो रहे हैं.



क्या है वायरल दावे का सच
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही बैंक ऑफ बड़ौदा की तस्वीर की लोकेशन संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की ही है, क्योंकि उसके बगल में जो वीआईपी नाम की दुकान की तस्वीर है वो इस बात की पुष्टि करती है कि वायरल तस्वीर वास्तव में यूएई की है. ये भी सच है कि बैंक की अल ऐन शाखा बंद हो रही है. लेकिन, इसका अडानी-हिंडनबर्ग विवाद से कोई लेना-देना नहीं है. बैंक ने एक बयान में कहा कि अल ऐन शाखा के खातों को 22 मार्च से अबू धाबी शाखा में स्थानांतरित कर दिया जाएगा. यानी सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा पूरी तरह से फर्जी है. 


ये भी पढ़ें- Fact Check: सोनिया गांधी ने पाकिस्तानी ISI एजेंट से की मुलाकात? जानें सोशल मीडिया पर वायरल दावे का सच