Rahul Gandhi Fact Check: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लोकसभा से अयोग्य ठहराए जाने के बाद कागज के टुकड़े को फाड़ते हुए उनकी एक तस्वीर सोशल मीडिया वायरल हो गई है. यह मामला साल 2019 से संबंधित है, जिस समय राहुल गांधी ने 'मोदी' सरनेम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद सूरत में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने राहुल गांधी को दोषी ठहराया है. वहीं, वायरल हो रही इस तस्वीर को शेयर करने वाले इंटरनेट यूजर्स का दावा है कि इस तस्वीर में राहुल को तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार द्वारा लाए गए साल 2013 के अध्यादेश को फाड़ते हुए दिखाया है. दावे में कहा गया है कि अगर राहुल गांधी ने अपनी ही सरकार की तरफ से पेश किए जा रहे अध्यादेश का मजाक नहीं उड़ाया होता तो वह अभी भी संसद सदस्य होते. आइये अब इस दावे की असलियत से आपको वाकिफ करवाते हैं.


सोशल मीडिया पर वायरल हो रही ये तस्वीर
ठाकुर साहब नाम के एक ट्विटर यूजर ने इस तस्वीर को शेयर किया है. ट्वीट के कैप्शन में यूजर ने लिखा कि राहुल गांधी ने जिस ऑर्डिनेंस को फाड़ा उसी के तहत आज उनकी संसद सदस्यता खतरे में पड़ गई. 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि यदि किसी राजनेता को 2 वर्ष या उससे अधिक की सजा होती है तो वह जीवन भर चुनाव नहीं लड़ सकता. मनमोहन सरकार सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को पलटने के लिए संसद में आर्डिनेंस लायी. राहुल गांधी ने अपने ही सरकार द्वारा लायी गई उस ऑर्डिनेंस को पब्लिकली फाड़ कर फेंक दिया और अब सुप्रीम कोर्ट के उसी नियम के तहत उनकी संसद सदस्यता जाने का खतरा पैदा हो गया है. पोस्ट की गई तस्वीर में राहुल गांधी एक कागज के टुकड़े को फाड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं.






वायरल तस्वीर की सच्चाई
राहुल गांधी की वायरल तस्वीर को लेकर किया गया दावा बिल्कुल झूठा और निराधार है. इसकी सच्चाई ये है कि उन्होंने ने साल 2013 में सार्वजनिक रूप से अध्यादेश के खिलाफ बात की थी और इसे 'फाड़कर फेंक देने' का आह्वान भी किया था, हालांकि उन्होंने इसे शारीरिक रूप से फाड़ा नहीं था. वायरल दावे के साथ शेयर की गई तस्वीर साल 2012 की है, जहां उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पर कटाक्ष करते हुए एक अभियान रैली में एक कागज का टुकड़ा फाड़ा था.


हमने इससे जुड़े एक कीवर्ड को सर्च किया, जिसमें हमने तमाम मीडिया रिपोर्ट मिली. एक मीडिया रिपोर्ट में प्रकाशित आर्टिकल में कहा गया है कि 28 सितंबर 2013 को राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अध्यादेश का विरोध किया था और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विरोध के प्रतीक के रूप में अध्यादेश को फाड़ दिया था. हमने दूसरे कीवर्ड सर्च किया, जिसमें हमें 27 सितंबर, 2013 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के यूट्यूब हैंडल पर प्रकाशित प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक वीडियो मिला. इसमें अध्यादेश के खिलाफ बोलते हुए राहुल गांधी ने एक जगह कहा कि अध्यादेश पर मेरी राय यह है कि यह पूरी तरह बकवास है और इसे फाड़कर बाहर फेंक दिया जाना चाहिए. मैं इसे आपके लिए दोहराऊंगा, अध्यादेश पर मेरी राय है कि इसे फाड़ कर फेंक दिया जाना चाहिए. हालांकि, राहुल गांधी ने कागज के एक टुकड़े को नहीं फाड़ा था.



फिर हमने अन्य कीवर्ड्स सर्च किये तो हमें 16 फरवरी 2012 को एक मीडिया चैनल पर एक वीडियो मिला. रिपोर्ट के अनुसार, यह वीडियो साल 2012 के उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले एक अभियान रैली का था. इसमें वो सपा और बसपा के खिलाफ बोल रहे थे और उन पर झूठे वादे करने का आरोप लगा रहे थे. इसके बाद उन्होंने कागज का एक टुकड़ा फाड़ा, जिसमें दोनों दलों द्वारा किए गए चुनावी वादों को सूचीबद्ध किया गया था. ये स्पष्ट है कि राहुल गांधी की एक पुरानी तस्वीर को यह दावा करने के लिए शेयर किया गया है कि यह दोषी सांसदों की अयोग्यता के संबंध में उनकी पार्टी द्वारा पेश किए गए 2013 के अध्यादेश को फाड़ते हुए दिखाया गया है. हालांकि, यह दावा सरासर गलत है.


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