Joshimath Land Sinking: जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर इसरो की ओर से रिपोर्ट जारी गई है, जिसमें बताया गया है कि 12 दिन में जोशीमठ की जमीन 5.4 सेंटीमीटर धंसी है. इसरो की ओर से जारी की सैटेलाइट तस्वीरें से पता चलता है कि 27 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच जोशीमठ शहर 5.4 सेमी नीचे धंस चुका है. इसरो की यह रिपोर्ट काफी डराने वाली है. इस बीच सोशल मीडिया पर जोशीमठ के भू-धंसाव की एक तस्वीर बड़ी तेजी से वायरल हो रही है. 


वायरल तस्वीर में पहाड़ में हर ओर दरार नजर आ रही है. तस्वीर में बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन को दिखाया गया है. इस तस्वीर को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह जोशीमठ की है. इस तस्वीर को इंस्टाग्राम पर The Tatva India के अकाउंट से शेयर किया गया है. तस्वीर के साथ लिखा गया, "आपदा से प्रभावित 600 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जाएगा." द क्विंट वेबसाइट ने इस तस्वीर की हकीकत का पता लगाया है. 


क्या है तस्वीर की हकीकत?


द क्विंट वेबसाइट ने फैक्ट चेक में पाया कि यह तस्वीर जोशीमठ की नहीं बल्कि पेरू की है. साल 2008 में पेरू में जबरदस्त भूस्खलन हुआ था. यह तस्वीर भी पेरू के जूस्को क्षेत्र के कूस्कॉ नाम की जगह पर हुए भूस्खलन की है. यह फोटो विकिपीडिया पर भी पड़ी हुई है. इसके अलावा पेरू के रक्षा मंत्रालय के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से 15 मार्च 2018 को किया गया एक ट्वीट भी मिला, जिसमें इस्तेमाल की गई तस्वीरों में भी यही वायरल फोटो थी.


 






जोशीमठ पर इसरो की रिपोर्ट


इसरो (ISRO) के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की ओर से जोशीमठ के ताजा हालातों की एक तस्वीर जारी की गई है. इसरो ने दावा किया है कि 12 दिन में 5.4 सेंटीमीटर धंस गया है. इसरो से ओर से जारी तस्वीरों से पता चलता है कि 27 दिसंबर 2022 और 8 जनवरी 2023 के बीच यानी 12 दिनों में शहर 5.4 सेमी धंस गया है. रिपोर्ट में बताया गया कि अप्रैल 2022 और नवंबर 2022 के बीच जोशीमठ में 9 सेमी धंसा था.


सीएम धामी ने की अहम बैठक


जोशीमठ को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की अहम बैठक हुई. बैठक के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "प्रभावित क्षेत्र से प्रभावित लोगों को शिफ्ट कर रहे हैं. 90 के आसपास परिवारों को शिफ्ट किया जा चुका है. जहां-जहां भी लग रहा है लोगों को शिफ्ट करने की आवश्यकता है, उन्हें शिफ्ट किया जा रहा है." मुख्यमंत्री ने कहा, "अभी किसी के मकानों को तोड़ा नहीं जा रहा है. आवश्यकता पड़ने पर खाली करवाया जा रहा है."


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