(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Fact Check: 'सरकार से मांगें हिसाब', CJI डीवाई चंद्रचूड़ की फोटो के साथ वायरल हो रहा पोस्ट, क्या है इसकी सच्चाई?
CJI DY Chandrachud: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के नाम और फोटो के साथ वायरल हो रहे सोशल मीडिया पोस्ट को सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी और गलत इरादे वाला करार दिया.
Supreme Court News: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की फोटो और नाम के साथ वायरल हो रहे सोशल मीडिया पोस्ट की सच्चाई सामने आई है. 'इंडियन डेमोक्रेसी सुप्रीम कोर्ट जिंदाबाद' कैप्शन के साथ वायरल हो रहे इस पोस्ट के मुताबिक, सीजेआई चंद्रचूड़ ने लोगों से अपील की कि सड़कों पर उतरकर सरकार से अपने अधिकार मांगें.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नाम के साथ वायरल हो रहे पोस्ट में कहा गया, 'भारत के संविधान, भारत के लोकतंत्र को बचाने के लिए हम पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें आपका सहयोग भी बहुत जरूरी है, सभी लोगों को एकजुट होकर सड़कों पर उतरना चाहिए और सरकार से अपना हक मांगना चाहिए. यह तानाशाही सरकार है. लोगों को डराएंगे, धमकाएंगे, लेकिन आपको डरना नहीं है, हिम्मत रखिए और सरकार से हिसाब मांगिए, मैं आपके साथ हूं.'
क्या है वायरल दावे की सच्चाई?
सीजेआई चंद्रचूड़ को लेकर किए जा रहे इस वायरल दावे का सच जानने के लिए हमने जांच शुरू की तो पता चला कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ या उनके कार्यालय से ऐसा कोई पोस्ट नहीं किया गया. गूगल सर्च में भी कोई ऐसी मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें इसका जिक्र किया गया हो. वहीं सुप्रीम कोर्ट के पब्लिक रिलेशन ऑफिस ने वायरल पोस्ट को फर्जी और गलत इरादे वाला करार दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने भी पोस्ट को बताया फर्जी
सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को कहा कि एक पुरानी तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए और प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को गलत तरीके से उद्धृत कर लोगों से अधिकारियों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने की अपील की गई. सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी एक प्रेस नोट में कहा गया कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने ऐसा कोई पोस्ट जारी नहीं किया है, न ही उन्होंने इस तरह के किसी पोस्ट को अधिकृत किया है.
की जाएगी कार्रवाई
इसमें कहा गया, 'सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में आया कि सोशल मीडिया पर एक पोस्ट (लोगों से अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के अनुरोध वाला) प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें एक फाइल तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए प्रधान न्यायाधीश को गलत तरीके से उद्धृत किया गया है.' प्रेस नोट में कहा गया है, 'पोस्ट फर्जी है, गलत इरादे वाला और शरारतपूर्ण है.' यह भी कहा गया कि कानून लागू करने वाले प्राधिकारियों के साथ परामर्श कर उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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