सोशल मीडिया पर कभी-कभी कुछ ऐसे दावों के साथ तस्वीरें या वीडियो शेयर किए जाते हैं, जिन पर विश्वास करना बेहद मुश्किल होता है. कई बार तो ऐसा भी देखा गया कि किसी घटना से जोड़कर शेयर किया जा रहे वीडियो या फोटो का असल में उस घटना से कोई संबंध ही नहीं होता. अक्सर ऐसे मामलों में तस्वीरें या तो पुरानी होती हैं या फिर उनको ग्राफिक्स और एनिमेशन की मदद से एडिट किया गया होता है. ऐसे में वायरल हो रहे वीडियो की सच्चाई से आपको रूबरू करनवाना हमारी जिम्मेदारी है. सोशल मीडिया पर आजकल एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि 28 सितंबर को ईद-ए-मिलाद उन-नबी पर केरल में निकाली गई एक रैली में पाकिस्तानी झंडे लहराए गए.
वीडियो शेयर कर एक यूजर ने लिखा, 'केरल के कासरगोड जिले में नबी के जन्मदिन पर कांग्रेस और मार्क्सवादी पार्टी (सीपीएम) की मदद और समर्थन से रैली निकाली गई, जिसमें पाकिस्तानी झंडे फहराए गए और लोग पाक आर्मी की ड्रेस में नजर आए. बहुत शर्म की बात.'
जांच में क्या आया सामने
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने जांच शुरू की. जांच में पता चला कि यह वीडियो कासरगोड़ जिले के कायनगाड़ का है. वीडियो में बल्ला बीच लिखा हुआ नजर आ रहा है और इसी नाम से इसमें एक बोर्ड भी लगा हुआ है. बल्ला बीच को गूगल मैप में सर्च करने पर पता चला कि यह बीच कायनगाड़ का है. इसके बाद गूगल के इमेज रिवर्स सर्च से यूट्यूब पर 28 सितंबर का एक वीडियो मिला, जो वायरल वीडियो से मिलता-जुलता है. वीडियो में दिखाया गया कि केरल में विभिन्न स्थानों पर रैलियां निकाली गई थीं. इसके साथ टाइटल में लिखा गया कि कायनगाड में ईद-ए-मिलाद उन-नबी पर रैली निकाली गई.
वीडियो की शुरुआत में कुछ लोग हाथों में पोस्टर लिए नजर आए, जिन पर लिखा था कि पैगंबर के दिन कायनगाड़ के बल्ला कडप्पुरम में रैली. वीडियो में लोग हाथों में झंडे भी लिए नजर आए, लेकिन ये झंडे पाकिस्तान के नहीं बल्कि केरल में इस्लामिक संगठन समस्त केरल जम-इयाथुल उलमा के थे. जांच में यह भी पता चला कि इस संगठन और इसकी यूथ विंग सुन्नी युवजन संगम ने ही रैली का आयोजन किया था. संगठन की वेबसाइट, फेसबुक अकाउंट पर जो झंडा लगा है, वही झंडा वायरल वीडियो में भी नजर आ रहा है.
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