Fact Check: क्या नितिन गडकरी ने की पीएम मोदी की आलोचना? जानें क्या है वायरल वीडियो का सच
पुराने वीडियो को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. 16 अगस्त, 2011 को भारतीय जनता पार्टी के यूट्यूब चैनल पर वीडियो अपलोड किया गया था. 2011 में यूपीए की सरकार थी और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे.
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सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयानबाजी की है. वीडियो को शेयर कर नितिन गडकरी की तारीफ की जा रही है. यूजर्स का कहना है कि पहली बार उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ बयान दिया और देश को ऐसे मजबूत नेताओं की जरूरत है.
16 अक्टूबर 2023 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर एक यूजर ने वीडियो शेयर किया. यूजर ने कैप्शन में लिखा, 'पहली बार बीजेपी नेता नितिन गडकरी ने लोकतंत्र के समर्थन में पीएम मोदी के खिलाफ बयान दिया है. हमारे देश को ऐसे नेताओं की सख्त जरूरत है. समाजवादी विचारधारा के नेता किसी भी पार्टी में हों, ऐसे लोगों का समर्थन करना चाहिए.'
वायरल वीडियो में क्या है?
वायरल वीडियो में नितिन गडकरी कह रहे हैं, 'प्रधानमत्री जो बात कह रहे हैं, वह लोकतंत्र के विरोध में है. इस देश में भ्रष्ट नेताओं और सरकार के खिलाफ आंदोलन करना, संवैधानिक अधिकार है. जनता का अधिकार है. विपक्ष का अधिकार है. काम करने वाले देश के लोगों का अधिकार है.' हालांकि, वायरल वीडियो में नितिन गडकरी कांग्रेस पार्टी का नाम भी ले रहे हैं, लेकिन जिस दावे के साथ इसको वायरल किया जा रहा है, उसकी सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो की जांच की.
जांच में क्या आया सामने
वायरल वीडियो की जांच करने पर पता चला कि यह दावा झूठा है और भ्रामक दावे के साथ वीडियो को शेयर किया जा रहा है. संबंधित कीवर्ड्स के साथ गूगल सर्च करने पर ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें दावा किया गया हो कि नितिन गडकरी ने पीएम मोदी को लेकर कोई बयान दिया, लेकिन 16 अगस्त, 2011 का एक वीडियो मिला है. इस वीडियो की ही कुछ मिनटों की एक क्लिप को भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. यह वीडियो 16 अगस्त, 2011 को भारतीय जनता पार्टी के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था. वीडियो के टाइटल में लिखा है- 'बीजेपी बाइट: अन्ना हजारे और प्रधानमंत्री: 15:08:2011'.
यह पूरा वीडियो 4 मिनट 25 सेकेंड का है और वायरल हिस्से को 6 सेकेंड से सुना जा सकता है. इसक मतलब है कि वायरल वीडियो के साथ किया जा रहा दावा पूरी तरह से झूठा है क्योंकि साल 2011 में यूपीए की सरकार थी और उस वक्त मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे. 2011 की टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट भी मिली है, जिसके मुताबिक, भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के अनशन आंदोलन के दौरान नितिन गडकरी ने यह बयान दिया था. अनशन पर सरकार ने कुछ शर्तें लगाई थीं, सरकार के इस कदम के खिलाफ ही नितिन गडकरी ने बयान दिया था.
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