Steel Scrap Fact Check: सोशल मीडिया पर स्टील स्क्रैप रिसाइकिलिंग पॉलिसी को लेकर एक रिपोर्ट तेजी से वायरल हो रही है. इसमें दावा किया जा रहा है कि स्क्रैप की बिक्री पर भारत सरकार ने इन्सेंटिव तय कर दिया है. वहीं, इंटरनेट पर यूजर्स इसको अपने-अपने दावों के अनुसार शेयर कर रहे हैं. पीआईबी फैक्ट चेक ने इस वायरल दावे की जांच-पड़ताल की है और इसकी सच्चाई को लेकर ट्वीट किया है. आइए जानते हैं सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस दावे की असली सच्चाई क्या है?


पीआईबी फैक्ट चेक ने शेयर किया पोस्ट 


दरअसल, पीआईबी फैक्ट चेक ने अपने ट्विटर हैंडल से एक लिंक पोस्ट किया किया है. इसमें लिखा है कि सरकार ने नवंबर, 2019 में स्टील स्क्रैप रिसाइकिलिंग पॉलिसी को अधिसूचित किया है. यह पॉलिसी विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न मेटल स्क्रैप के वैज्ञानिक प्रोसेसिंग और रिसाइकिलिंग के लिए भारत में मेटल स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को सुविधाजनक बनाने और बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है.


सार्वजनिक क्षेत्र की यूनिट्स/प्राइवेट सेक्टर द्वारा स्क्रैपिंग केंद्र स्थापित करने का निर्णय वाणिज्यिक विचारों के आधार पर लिया जाता है. स्क्रैप की बिक्री पर सरकार ने कोई इंसेंटिव तय नहीं किया है. यह स्क्रैप की बिक्री के समय प्रचलित दिशानिर्देशों और बाजार की स्थितियों से नियंत्रित होता है. स्टील स्क्रैपिंग पॉलिसी के कार्यान्वयन में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF & CC) की प्रमुख भूमिका है.


सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने वाहन स्क्रैपिंग नीति तैयार की है जिसमें पुराने, अनुपयुक्त प्रदूषणकारी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए प्रोत्साहन/प्रोत्साहन की एक प्रणाली शामिल है.


वायरल दावे की सच्चाई


पीआईबी फैक्ट चेक के ट्वीट के मुताबिक ये दावा पूरी तरह से गलत और भ्रामक है. पोस्ट में लिखा कि स्टील स्क्रैप रिसाइकिलिंग पॉलिसी. स्क्रैप की बिक्री पर सरकार ने कोई इंसेंटिव तय नहीं किया है. यह स्क्रैप की बिक्री के समय प्रचलित दिशानिर्देशों और बाजार की स्थितियों से नियंत्रित होता है. कुल मिलाकर ये दावा फर्जी साबित हुआ है.


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