Islam In Japan: भारत में CAA लागू होने के बाद जापान को लेकर दावों की बाढ़ आ गई है. सोशल मीडिया पर इस समय जमकर साझा किया जा रहा है कि जापान में मुस्लिमों को नागरिकता नहीं मिलती है. जापान में कुरान पर बैन है और जापान में एक भी मस्जिद नहीं है. आज हम जापान को लेकर सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों की सच्चाई बताएंगे.
'जापान में मुस्लिमों को नागरिकता'
एक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बकायदा ग्राफिक शेयर करते हुए बताया गया है कि जापान पर मुसलमानों को नागरिकता नहीं दी जाती है. जापान में इस्लाम के प्रचार पर बैन है. बता दें कि जापान में मुसलमानों को नागरिकता नहीं देने की खबर एकदम गलत है. जापान के न्याय मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक जापान में नेचुरलाइजेशन के जरिए नागरिकता पाई जा सकती है. कानूनी फर्म टोक्यो आप्रवासन में नागरिकता के लिए धर्म का उल्लेख नहीं किया गया है.
'जापान में धार्मिक स्वतंत्रता'
जापान में जहां तक धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा है, अमेरिकी विदेश विभाग ने अपनी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर आधारित 2022 की रिपोर्ट में बताया है कि जापान में लगभग 2 लाख 30 हजार मुस्लिम निवास करते हैं. इनमें से 47 हजार मुस्लिमों को जापान का नागरिक बताया गया है.
'जापान में इस्लाम का प्रचार-प्रसार'
जापान में इस्लाम के प्रचार पर बैन की बात भी गलत है. जापानी समाचार असाही शिंबुन के मुताबिक साल 1999 में जापान में 15 मस्जिदें थीं, जो साल 2021 में बढ़कर 113 हो गई हैं. जापान के संविधान में इस्लाम के प्रचार-प्रसार पर प्रतिबंध का कोई जिक्र नहीं है.
'जापान में अरबी भाषा की पढ़ाई'
जापान में ऐसा कोई विश्वविद्यालय नहीं है, जहां अरबी भाषा की पढ़ाई होती हो, यह दावा भी गलत है. टोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज और ओसाका विश्वविद्यालय में अरबी भाषा का पाठ्यक्रम शामिल है. जापान दुनिया का एकमात्र देश, जहां इस्लामी देशों के दूतावासों की संख्या नगण्य है, यह दावा भी गलत है. जापान ने इंडोनेशिया, पाकिस्तान, बहरीन, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे कई इस्लामी देशों में अपने दूतावासों का संचालन कर रहा है.
यह भी पढ़ेंः Whatsapp पर पाकिस्तानी छात्र ने क्या लिखा कि मिल गई मौत की सजा, लोगों ने लगाए सिर तन से जुदा के नारे