Privatization Of Public Sector Banks: आम बजट पेश होने में एक महीने से भी कम का समय बचा है. सरकारी अधिकारी बजट तैयार करने में दिन-रात लगे हुए हैं. इस बीच मीडिया में एक लिस्ट वायरल हो रही है, जिसमें कुछ सरकारी बैंकों के निजीकरण की बात कही जा रही है. हालांकि, अब इस लिस्ट और खबर को लेकर नीति आयोग ने अपनी सफाई दी है. आयोग का कहना है कि ये खबरें गलत हैं.


आयोग ने कहा, "सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से जुड़ी नीति आयोग की ओर से साझा की गई सूची के संबंध में मीडिया में एक मनगढ़ंत संदेश प्रसारित किया जा रहा है. यह सूचित किया जाता है कि नीति आयोग ने ऐसी कोई सूची, जैसा कि उल्लेख किया जा रहा है, किसी भी रूप में साझा नहीं की है."


SBI, PNB होंगे प्राइवेट?


बजट से पहले नीति आयोग की वायरल लिस्ट से बाजारों में भी चहल-पहल देखने को मिली. दरअसल, बैंकों के निजीकरण की खबर ऐसे प्रसारित की गई थी कि सरकार एसबीआई और पीएनबी जैसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने जा रही है. 






दरअसल, नीति आयोग ने मार्च 2021 की अपनी सिफारिश में पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के साथ निजीकरण सूची से बाहर रखने को कहा था. पिछले साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में दो सरकारी बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की बात कही थी.


बैंकों के निजीकरण पर सरकार का ध्यान नहीं


अब जहां नीति आयोग ने स्पष्ट किया है कि उसने ऐसी कोई सूची जारी नहीं की, ऐसे में यह स्पष्ट हो गया कि सरकार इन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण पर कोई ध्यान नहीं दे रही है. हालांकि, भारत सरकार ने देश के कई सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एक बड़े बैंक में विलय करने का काम किया है. 2019 में किया गया बैंकों का यह विलय अप्रैल 2021 से प्रभावी है. 


इस योजना के तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक का पीएनबी में विलय किया गया था. केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का विलय किया गया. यूनियन बैंक में आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का विलय कर दिया गया, जबकि इलाहाबाद बैंक का बैंक ऑफ इंडिया में विलय कर दिया गया.


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