Fact Check: इजरायल की जेल में बंद फिलिस्तीनी बच्चों की तस्वीरें हो रहीं वायरल, जानें क्या है हकीकत
Fact Check: जो तस्वीर वायरल हो रही है. उसमें देखा जा सकता है कि दर्जन भर से ज्यादा फिलिस्तीनी बच्चे एक लोहे की सलाखों के पीछे खड़े हुए हैं. उनके हाथ में नीले रंग के प्लास्टिक मग और छोटी बाल्टियां हैं.
Palestinian Children Fact Check: इजरायल और फिलिस्तीन के बीच बढ़ते संघर्ष में बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ितों में से एक रहे हैं. साल 2023 की शुरुआत के बाद से सात फिलिस्तीनी बच्चे और एक इजरायली बच्चे को मारा गया. मानवाधिकार संगठन अदमीर (Addameer) के अनुसार, साल 2000 के बाद से इजराइल ने लगभग 12,000 फिलिस्तीनी बच्चों को जेल में डाल दिया है. वहीं, दिसंबर, 2022 तक करीब 150 फिलिस्तीनी बच्चे इजरायल की जेलों में बंद हैं. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ बच्चे लोहे की सलाखों के पीछे खड़े हुए हैं. इस तस्वीर को सोशल मीडिया में इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि एक इजरायली जेल में फिलिस्तीनी बच्चे बंद हैं. अब इस तस्वीर की वाकई में हकीकत क्या है, इसके बारे में हम आपको बताएंगे.
कैसी तस्वीर हो रही वायरल?
दरअसल, जो तस्वीर वायरल हो रही है. उसमें दावा किया जा रहा है कि दर्जन भर से ज्यादा फिलिस्तीनी बच्चे एक लोहे की सलाखों के पीछे खड़े हुए हैं. उनके हाथ में नीले रंग के प्लास्टिक मग और छोटी बाल्टियां हैं. उनके चेहरे देखकर लग रहा कि वो भूखे-प्यासे और लाचार हैं. इस तस्वीर के टेक्स्ट में लिखा है कि इजरायली जेल में फिलिस्तीनी बच्चे. इसको लेकर दावा किया जा रहा है कई ये फिलिस्तीनी बच्चे एक जेल में बंद हैं, जोकि इजरायल में है.
क्या है सच्चाई?
हमने पाया कि फिलिस्तीनी बच्चों की तस्वीर को लेकर किया जा रहा दावा गलत है. हमने अपनी जांच में पाया कि इस विवादित तस्वीर के साथ छेड़छाड़ की गई है, उसको क्रॉप किया गया है. मूल तस्वीर फिलिस्तीन के वेस्ट बैंक शहर हेब्रोन की है. जहां कुछ फिलिस्तीनी बच्चे एक रसोई में भोजन की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हमें यूरोपियन प्रेसफोटो एजेंसी (ईपीए) की वेबसाइट पर इस विवादित तस्वीर का बड़ा वर्जन मिला, जिसमें लोहे की सलाखों का एक सिरा खुला हुआ है, जिसके पीछे फिलिस्तीनी बच्चे खड़े थे.
उसी जगह पर कतार में खड़े बच्चों की समान तस्वीरें भी लगभग उसी समय रॉयटर्स ने पोस्ट की थीं. रॉयटर्स के अनुसार, ये तस्वीरें 12 अगस्त, 2010 को रमजान महीने के दूसरे दिन ली गई थीं. इसके अलावा, अलामी पर मैटेलिक स्ट्रक्चर के दूसरी तरफ से क्लिक की गई एक अलग तस्वीर भी मिली, जोकि साल 2013 के रमजान के दौरान ली गई थी. इस फोटो में भी बच्चों को लोहे की सलाखों के बाहर अपनी बाल्टियों के साथ इंतजार करते देखा जा सकता है.
कुल मिलाकर हमारी पड़ताल में ये दावा भ्रामक और फर्जी निकला है. इस विवादित तस्वीर को काटकर भ्रामक दावों के साथ शेयर किया गया है.