Sweden Quran Burning: स्वीडन में 28 जून को इराकी नागरिक सलवान मोमिका नाम के शख्स ने सॉडरमल जिले की एक मस्जिद के बाहर मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान जला दिया दी थी. जिसके बाद कई इस्लामिक देशों ने इस पूरे घटनाक्रम की निंदा की. वहीं सोशल मीडिया पर घटना के बाद यह दावे किए जा रहे थे कि कतर और कुवैत देशों ने अपने यहां से स्वीडिश लोगों को बाहर निकाल दिया. आइए जानते हैं कि यह दावे कितने सच हैं. 


स्वीडन की सरकार ने इस पूरी घटना को इस्लामोफोबिक बताते हुए कहा, यह किसी भी तरह से स्वीडन की सरकार का मत नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह के एक्ट का किसी भी प्रकार से समर्थन नहीं करती है. वहीं हाल ही में सोशल मीडिया पर कुछ लोग ऐसा कह रहे थे कि कुवैत और कतर से स्वीडिश लोगों को बाहर निकाला जा रहा है, जो बिल्कुल सच नहीं है. इस पूरे मामले के बाद कतर और कुवैत ने इस पूरे घटनाक्रम की निंदा तो की है, लेकिन स्वीडिश लोगों को देश से बाहर निकाल देने का दावा सरासर गलत है. 



मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुरान जलाए जाने की घटना के एक दिन बाद 29 जून को कतर के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर इस तरह कुरान का अपमान करना सही नहीं है. साथ ही ये भी लिखा था कि इस तरह की हरकत से नफरत और हिंसा फैलेगी.


कुवैत ने भी इस पर स्टेटमेंट जारी किया और स्वीडन के राजदूत को भी बुलाया. कुवैत ने इस हरकत के बाद विरोध जताया था. कतर और कुवैत की ऑफिशियल मीडिया वेबसाइट्स में भी इस चीज का कोई जिक्र नहीं है कि इन दोनों देशों से स्वीडिश लोगों को बाहर निकाला जा रहा है. जिसके बाद पता चला कि स्वीडिश लोगों को दोनों देशों से बाहर निकालने के दावे झूठे हैं. 


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